Sawan 2025 : यादव समाज के लोग क्यों करते हैं काशी विश्वनाथ में पहला जलाभिषेक… जानें कारण

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Sawan 2025 : यादव समाज के लोग क्यों करते हैं काशी विश्वनाथ में पहला जलाभिषेक… जानें कारण


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Sawan 2025 : काशी में जलाभिषेक की ये परंपरा 1932 से शुरू की गई. मान्यता है कि उस साल पूरे देश में जबरदस्त सूखा और अकाल पड़ा. उस वक्त किसी महात्मा ने उपाय सुझाया. उन्होंने कहा कि काशी में बाबा विश्वनाथ और अन्य श…और पढ़ें

वाराणसी: ‘भोले की नगरी’ काशी में सावन के पहले सोमवार को हर तरफ हर हर महादेव का जयघोष गूंज रहा है. पूरे काशी में आज हर तरफ अलग ही नजारा दिखाई दे रहा है. कांवड़ियों के भीड़ के बीच देशभर से आए हजारों यादव बंधुओ ने आज काशी के तमाम शिवालयों में अभिषेक किया. पूरे पारंपरिक वेशभूषा में यादव बंधुओ ने दशकों पुरानी यह परंपरा निभाई.

काशी की मान्यता के अनुसार 1932 में देश में सूखा और अकाल पड़ा था तब यादव बंधुओ ने ही भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए काशी के पुराधिपति बाबा विश्वनाथ सहित 9 शिवालयों में जलाभिषेक किया था. जिसके बाद भगवान भोले प्रसन्न हुए और झमाझम बारिश से लोगो को राहत मिली. बस तभी से यह परंपरा अनवरत चली आ रही है.

8 घंटे में 30 किलोमीटर की यात्रा
इसी परंपरा के तहत यादव बंधु गौरी केदारेश्वर से जल लेकर इस सामूहिक जलयात्रा की शुरुआत करते हैं. उसके बाद तिलभांडेश्वर, काशी विश्वनाथ,महामृत्युंजय सहित अन्य शिवमंदिरों में जलाभिषेक किया. सुबह 8 बजे इस जलाभिषेक यात्रा की शुरुआत हुई. इस जलाभिषेक यात्रा में लगभग 50 हजार यादव बंधु 8 घंटे में 30 किलोमीटर की यात्रा कर काशी के प्रमुख 9 शिवालयों में भगवान शिव का अभिषेक करते हैं.

यह रहा आकर्षण का केंद्र
इस यात्रा में डमरू के डम-डम की आवाज और शिव पार्वती का रूप लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा. इसके अलावा एक परिधान में रमे यादव बंधु भी देशभर से आए भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करते रहे. इस दौरान पूरा माहौल भक्तिमय दिखाई दिया. इस सामूहिक यात्रा में सिर्फ काशी नहीं बल्कि यूपी के अलग अलग राज्यों के साथ दिल्ली,हरियाणा और अन्य जगहों के यादव समाज के लोग भी शामिल हुए.

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