आखिर क्या है वनमानुष? क्या वनमानुष या यति जैसा कुछ होता है?

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आखिर क्या है वनमानुष? क्या वनमानुष या यति जैसा कुछ होता है?

वनमानुष होते कैसे है

वनमानुष एक वन में रहने वाला मानुष है। वनमानुष एक बड़ा वानर जैसा प्राणी है जो वानर जैसा दिखता है। यह साइज में इंसान से काफी बड़ा पर बढ़किला होता है। इनकी लंबी-लंबी दो भुजाएं होते हैं, जो इंसान से काफी बड़ा होता है। इनकी काफी शक्तिशाली छाती होती है, जो की किसी भी परिस्थितियों में सक्षम हैं।

इनका पेट इतना मजबूत होता है कि यह छोटे-मोटे जानवरों को बचाने में आसानी से सक्षम है। इनका पेट बहुत ही मजबूत माना जाता है। इनकी अलग-अलग प्रजातियों के हिसाब से उनके पैर से लेकर सर तक हाइट 7 से 8 फीट से ऊपर भी बताई जाती है। इनका वजन 90 से 180 किलो तक बताया जाता है। यह छोटे बच्चे और उनके बड़े वनमानुष के भी वजन अलग हो सकता है।

उनके चेहरे को छोड़कर पूरी शरीर में लंबे लाल भूरे या काले भूरे बालों से इनका शरीर पूरी तरह से ढका होता है। इनका सिर्फ मुंह दीखता है और उनका पूरा शरीर ढका रहता है। यह अपने शरीर को मोड नहीं सकते क्योंकि इनका शरीर इतना विशाल और भारी होता है। यह सीधे ही चलते हैं, मुड़कर पीछे देख नहीं सकते।

यह सिद्ध होकर दो पैरों पर चलते हैं मनुष्य की तरह। जंगलों में पेड़ों पर एक दूसरे का प्रयोग कर पेड़ों से झूल कर अपने हाथ और पैरों के प्रयोग के हिसाब से यह पेड़ों पर झूलते रहते हैं। बताया जाता है कि यह अपने हाथ में एक बड़ा सा पत्थर लिए रहते हैं अपनी सुरक्षा के लिए। यह पत्थर को ही हथियार समझते हैं और किसी भी परिस्थिति में यह उसी का प्रयोग करके अपने आप को बचाते हैं।

बताया जाता है कि यह ज्यादातर अकेले में दिखाते हैं या तो जोड़े में दिखाते हैं। यह बहुत रियली झुंड में दिखाते हैं। सीटी बजा करके एक दूसरे को संकेत देते हैं और एक दूसरे को आकर्षित करते हैं। इसे बहुत ही गंदी तरह की इसमें लाती है जो कि इंसान के लिए बहुत खतरे के समान होती है। कभी-कभी इनसे जंगल से मुस्कुराने की बहुत ही अजीब तरह से आवाज आती है। बताया जाता है कि इनका देखना मतलब मौत का प्रतीक माना जाता है।

अरुणाचल प्रदेश का हादसा

साल 2008 के अरुणाचल प्रदेश के 12000 फीट की ऊंचाई पर इंडियन आर्मी के सेंस सिविल सेवा के लिए एक सड़क का निर्माण किया जा रहा था जो की 12000 फीट की ऊंचाई पर जा रहा था उसी में काम करने वाला एक मजदूर पास के स्थानीय बाजार से सामान लेने के लिए दिन में पैदल चलकर जाता है वह रात होने के पहले अंधेरे होने से पहले सामान लेने के बाद वापस आने के लिए रवाना हो जाता है लेकिन काफी रात हो जाती है वह अपने स्थान पर पहुंच नहीं पता जहां इंडियन आर्मी का कैंप लगा होता है

सुबह होते एक स्थानीय लोकल आदमी अपने घोड़े के साथ वहां शेयर करने के लिए निकला होता है तो वह दूर से देखा है कि एक अजीब तरह से कोई दूर पर बैठा होता है तो उसने सोचा कि यह कोई शराब पीकर के नशे की हालत में बैठा है जब वह उसके पास जाता है तो देखा है कि यह तो कोई शराब पीकर के नहीं बल्कि मैं यह मरा हुआ आदमी होता है और यह बहुत ही अजीब तरह से बैठा होता है यह कोई एक्सीडेंट या तो कोई चोर वगैरा का काम हो नहीं सकता क्योंकि यह इसके पास पास में फोन और पैसे वगैरा पड़े होते हैं अगर या चोरी का मामला होता तो वहां पैसे मोबाइल फोन पड़ा होता या कोई एक्सीडेंट का मामला नहीं हो सकता क्योंकि वह अजीब तरह से बैठा हुआ था और वह गिरा हुआ नहीं था अगर एक्सीडेंट होता तो वह गिरा हुआ होता और उसके शरीर से कहीं ना कहीं से रक्त बह रहा होता देखने पर पता चला कि इसकी गर्दन टूटी हुई है जब यह डॉक्टर के पास बॉडी गई और डॉक्टर ने जांच कर तो बताया कि या कोई इंसान की बस का काम नहीं हो सकता क्योंकि इंसान जिस तरह से गला टूटा हुआ है या कोई इंसान नहीं कर सकता क्योंकि इसमें बहुत फोर्स लगेगा या किसी जानवर का भी काम नहीं हो सकता क्योंकि इसके शरीर पर किसी निशान किसी जानवर के नाखून के निशान नहीं लगे हुए थे लाश के ऊपर मिला था एक बाल मिला था वह जांच करने के बाद पता चला ना तो यह किसी इंसान का बाल हो सकता है ना ही किसी जानवर का फुटप्रिंट देखने पर लोगों ने बताया स्थानीय लोगों ने किया फुटप्रिंट है एक वनमानुष का

वनमानुष ज्यादातर रहते कहां है

वनमानुष भारत भूटान नेपाल तिब्बत में हिमालय के ऊंची पहाड़ियों पर रहते हैं यह ज्यादातर बर्फीले इलाकों को पसंद करते हैं ऊंची पहाड़ियों पर यह ज्यादातर इंडोनेशिया और मलेशिया के घने जंगलों में ही पाए जाते हैं यह अपनी जान बचाने के लिए ऊंचे पहाड़ों पर रहते हैं कि कोई इनको मार न सके

वनमानुष का उत्पन्न कैसे हुआ या वनमानुष कैसे बने

एक पौराणिक कथा में इसका उल्लेख किया गया है कि वर्मानुष का उत्पन्न कैसे हुआ एक बौद्ध तत्व बंदर थे जिसे भगवान ने तिब्बत में ध्यान करने के लिए भेजा था वह ध्यान जब कर रहे थे तब एक रक्षनी ने जिसका नाम सरम और था यह महिला बुद्ध की अवतार राक्षस ने थी यह बंदर के पास गई और कहीं कि मैं तुमसे विवाह करने के लिए आई हूं बंदर ने कहा कि मैं ब्रह्मचारी हूं मैं आपसे शादी नहीं कर सकता राकेश ने उससे कहा कि अगर तुम मुझसे विवाह नहीं करोगे तो मैं एक राक्षस से विवाह कर लूंगी और उसके बाद हमारे राक्षस बेटे का जन्म होगा और सब लोग परेशान हो जाओगे । जो सब कुछ खत्म कर देंगे । यह सब सुनने के बाद बंदर ने राक्षस ने से विवाह कर लिया उनके छह बंदर मानव बच्चे पैदा हुए जिन्हें वनमानुष या वानर मानुष के नाम से जाना जाता है पीढ़ी दर पीढ़ी अलग-अलग बच्चे पैदा होते गए और उन्हें में से एक जेनरेशन थी वर्मा उसकी जो ना ही वनमानुष थे बल्कि मैं एक रक्षा के अवतार के थे यह ना ही मानव और ना ही बंदर थे इसके हिसाब से वनमानुष और मनुष्य का जनरेशन एक ही है लेकिन वनमानुष पूरी तरह मनुष्य नहीं बन सके वनमानुष की कहानी हजारों साल पुरानी है

वनमानुष का पहली बार किसने देखा

वनमानुष को पहली बार साल 1832 में सामने आया ब्रिटिश प्रकृति वादी ब्रायन हाजन अपने आर्टिकल में बताया उन्होंने एक विशालकाय गैर मानव प्राणी को देखा था जो सर से लेकर पैरों तक पूरे काले घने लंबे बालों से ढका हुआ था और देखने के बाद भाग गया इनका मानना था कि एक औरंग ऊटान जैसा दिखता है और औरंग ऊटान एक वास्तविक वानर है जो अपने भी अस्तित्व में है लेकिन यह भारत में नहीं बल्कि इंडोनेशिया और अन्य पहाड़ी ऊंची इलाकों में मिलता है


आखिर कहां रखी थी वनमानुष का शरीर

स्थानीय लोगों का मानना था कि वनमानुष का शरीर कहीं ना कहीं रखा हुआ है स्थानीय शिकारी गाड़ियों और शेर पांव ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि तिब्बती मांडो में वनमानुष के हाथ और खोपड़ी मौजूद है इससे पश्चिमी लोगों में और भी रुचि पैदा हो गई लेकिन साल 1930 के दशक में किसी भी पश्चिमी विदेशी ने नेपाल में प्रवेश की अनुमति बंद कर दी गई केवल कुछ ब्रिटिश सैनिक अधिकारियों और राज्य को ही प्रतिबंध प्रवेश की अनुमति थी नेपाल के शस्त्र शासक वंश राणा वंश का हाथ था नेपाल में पश्चिमी प्रभाव नहीं देखना चाहता था लेकिन 1951 में नेपाल की राजनीतिक बदल गई शान किसी और दूसरे का आ गया इसके बाद सारे नियमों में ऊपर नीचे हो गई और आना जाना एक देश से दूसरे देश में शुरू हो गया ।

टॉम स्लिक का कहना था कि वनमानुष तीन प्रकार के होते हैं

टॉम स्लिक एक खोज करते थे जिन्होंने वनमानुष की खोज के लिए काफी समय बलिदान दिया वो अमेरिका से लौटने के बाद उन्होंने कहा कि वनमानुष तीन प्रकार के हैं एक औ लॉजिक और बाकी वास्तविक है उन्होंने कहा कि वह तीन प्रकार के वनमानुष में बीच संबंध को प्राकृतिक करने का प्रयास कर रहे हैं इससे पहले वह अपनी खोज को दुनिया के सामने पेश कर इस वनमानुष के डर से लोगों को निकलते वह एक एरोप्लेन क्रैश में मारे जाते हैं

तीन ऐसे खोज करता थे जिन्होंने विश्व के अद्भुत खोजकर्ताओं में माने जाते थे

नंबर एक पर आते हैं पीटर बोर्न जो एक आयांश अमेरिकी खोज करता थे
नंबर दो पर आते है राइन होल्ड मेशनर ये एक इटली के मशहूर प्रसिद्ध पर्वतरोही खोजकर्ता थे जो ज्यादातर ऊंचे पहाड़ों पर ही खोज करते थे
नंबर तीन पर आते हैं डेनियल सी ट्रेलर इस अमेरिकी व्यक्ति ने यतिदा इकोलॉजी ऑफ़ ए मिस्ट्री नामक पुस्तक लिखी थी
यह तीन ऐसे प्रसिद्ध मशहूर खोज करता थे जिनका नाम पूरे विश्व में गूंज रहा है यह अपने खोज पर ही अपना नाम बनाया है

आयरिश अमेरिकी खोजकर्ता पीटर पैन थे कौन जिन्होंने वर्मा उसकी खोज में इतना योगदान दिया

यह वर्मानुष की खोज में पांच अभियान का हिस्सा थे इन्होंने वनमानुष की खोज में 38 महीने बिताई हिमालय की ऊंची पहाड़ियों में गुजरा था वह 13000 फीट ऊंची पर स्थित पार्क पहुंचे बौद्ध मठ में गए क्योंकि 5:00 बहुत मैथ में मनमाड उसके हाथ में खोपड़ी रखे होने का अनुमान था वह वहां उसका हाथ मांगते हैं लेकिन वहां के व्यक्ति ने उन्हें हाथ व खोपड़ी देने से इनकार कर दिया बहुत कहाँ पर उन्होंने उसे डोनेशन देने के बाद उन्हें उसने एक उंगली दी वह उसे लेकर भारत आए और उसने अपने दोस्त जेम्स स्टीवर्ट को क्या कर दिया उसे कहा कि इसे लेकर लंदन के लिए रवाना हो जाओ जैन स्टीवर्ट की पत्नी गोरिया ने से अपने आदिवासी बाग में छुपा कर लंदन पहुंच गई खोज के दौरान उंगली एक और मनुष्य की नहीं बल्कि मनुष्य की थी

आखिर में अर्नस्ट शेफर ने क्या निष्कर्ष निकाला
सन 1939 में जर्मनी की नाजी पार्टी द्वारा तिब्बत के लिए एक गुप्त मिशन के लिए प्रायोजित प्राणी वैज्ञानिक अर्नस्ट शेफर इस निष्कर्ष पर पहुंचे की वनमानुष का अस्तित्व नहीं है स्थानीय लोगों के कहने पर वह ऊपर वर्णमालास को ढूंढने के लिए चढ़ गए वह बंदूक लेकर गए थे पहाड़ पर गए और उसे गोली मार दी वह जिन्हें लोग वरमानत बताते थे वह एक तिब्बती बियर भालू था उन्होंने 1982 में अपने मौत से पहले रिन हॉल को एक पत्र लिखकर या सब बात विस्तार से बताएं आखिर यह को वनमानुष नहीं बल्कि एक भालू है जो बहुत रियली हो गए हैं यह जानवर भी विलुप्त होते देख रहे हैं

निष्कर्ष

यह पुरानी कहानियों में ही वर्मानुष वगैरा की कहानी सुनाने में अच्छी लगती है। असलियत में या कुछ भी नहीं बल्कि एक भालू है जिसे स्थानीय लोग डरे हुए थे। वह डरने की बात थी परंतु या किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते थे। या बहुत ही डरे हुए होते हैं।

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