आजमगढ़ की ब्लैक पॉटरी में छुपी है हाथों की खूबसूरत कारीगरी, जानिए कैसे बनते है

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Azamgarh Black Pottery: आजमगढ़ की ब्लैक पॉटरी, अपनी बेहतरीन कारीगरी और खूबसूरती के लिए विश्वभर में जानी जाती है. निजामाबाद के कुशल कारीगरों द्वारा बनाई जाने यह ब्लैक पॉटरी मिट्टी के बर्तनों को न केवल सुंदर आकार…और पढ़ें
पॉटरी पर हाथ से डिजाइन बनाता कुम्हार
हाइलाइट्स
- आजमगढ़ की ब्लैक पॉटरी विश्व प्रसिद्ध है.
- 100 से अधिक परिवारों का मुख्य रोजगार है.
- ब्लैक पॉटरी की डिजाइनिंग हाथ से की जाती है.
Azamgarh Black Pottery: आजमगढ़ का ब्लैक पॉटरी उद्योग न केवल उत्तर प्रदेश और भारत में, बल्कि पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. इस क्षेत्र में बनने वाली ब्लैक पॉटरी के उत्पादों की अपनी एक खास पहचान है. आजमगढ़ की यह कला न केवल जिले, बल्कि पूरे देश की पहचान बन चुकी है. जिसे देखते हुए इसे “वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट” (ODOP) में भी शामिल किया है. यह उद्योग आजमगढ़ की संस्कृति का अहम हिस्सा बन चुका है और यहां के ब्लैक पॉटरी के उत्पादों के प्रति देश-विदेश के पर्यटकों की भारी रुचि देखी जाती है. जो इसे जरूर अपने साथ खरीद कर के जाते हैं. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि आखिर के खूबसूरत ब्लैक पॉटरी को कैसे तैयार किया जाता है.
ब्लैक पॉटरी की खूबसूरती
आजमगढ़ के निजामाबाद में बनने वाली ब्लैक पॉटरी न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में प्रसिद्ध है. यहां के उत्पादों की विदेशों में भी काफी डिमांड है. विदेशों से आने वाले पर्यटक यहां की ब्लैक पॉटरी के प्रोडक्ट्स को खरीदकर अपने देशों में ले जाते हैं. इस कला का वैश्विक महत्व इस बात से भी साबित होता है कि भारत सरकार अपने विदेशी मेहमानों को इस अनमोल धरोहर के रूप में ब्लैक पॉटरी उपहार के तौर पर देती है. इतना ही नहीं भारत सरकार इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं का संचालन भी करती है. इसमें कौशल विकास, प्रशिक्षण कार्यक्रम और अन्य सहायता शामिल हैं, जो कारीगरों की मदद करती हैं और इस उद्योग को मजबूत बनाती हैं.
100 से अधिक परिवारों का रोजगार
आजमगढ़ के निजामाबाद में 100 से अधिक परिवारों के लोग ब्लैक पॉटरी उद्योग से जुड़े हुए हैं. यह उनका मुख्य रोजगार है यहां के कारीगरों के पास इस कला की पुश्तैनी महारत है. ब्लैक पॉटरी के इस उद्योग में अत्यधिक मेहनत और कला की जरूरत होती है. पारंपरिक तकनीकों के साथ-साथ अब इसमें आधुनिक तकनीकों का भी प्रयोग किया जा रहा है, जिससे इस कला को और बेहतर रूप में प्रस्तुत किया जा सके.
कैसे बनती है ये खूबसूरत ब्लैक पॉटरी
ब्लैक पॉटरी बनाने की प्रक्रिया काफी जटिल और समय लेने वाली होती है. बैजनाथ प्रजापति, जो निजामाबाद में ब्लैक पॉटरी के कारीगर हैं, बताते हैं कि इस कला को निखारने के लिए मिट्टी को पहले पोखरे या तालाब से लाकर शुद्ध किया जाता है और उसे चिकना किया जाता है. इस प्रोसेस के बाद मिट्टी को कई बार पानी में डालकर घोलना और छानना पड़ता है, जिससे मिट्टी की क्वालिटी बढ़ जाती है और उसे बर्तनों के आकार में ढालने के लिए तैयार किया जाता है.
चमक और नक्काशी का जादू
मिट्टी को चाक पर रखकर उसे मनचाहा आकार दिया जाता है. इस प्रक्रिया में कारीगरों की हाथों की कला का महत्वपूर्ण योगदान होता है. बर्तन का आकार देने के बाद उन्हें सूती कपड़े से रगड़ा जाता है, जिससे उस पर चमक आ जाती है. इससे बर्तन न केवल मजबूत होते हैं, बल्कि उनकी खूबसूरती भी और बढ़ जाती है.
हाथों की कला से पिरोई जाती है खूबसूरती
ब्लैक पॉटरी के बर्तनों पर जो डिजाइनिंग होती है, वह किसी मशीन की कारीगरी नहीं होती, बल्कि पूरी तरह से हाथ से बनाई जाती है. इसके लिए लोहे की तिली का उपयोग किया जाता है, जिसे पेंसिल के आकार में ढाला जाता है और बर्तन पर चलाकर विभिन्न डिज़ाइन बनाए जाते हैं. इन डिज़ाइनों में स्थानीय संस्कृति और पारंपरिक कला का अद्भुत मिश्रण दिखाई देता है. डिजाइनिंग के बाद इन बर्तनों को भट्टी में पकाया जाता है. इस प्रक्रिया में बर्तनों को काला रंग दिया जाता है, जो इन्हें एक खास और आकर्षक रूप देता है. तब जाकर यह बर्तन पूरी दुनिया में अपनी खास पहचान बनाते हैं.