इस कारीगर की नक्काशी देख दंग रह जाएंगे, हूबहू पीतल पर बना देते हैं चेहरा

0
इस कारीगर की नक्काशी देख दंग रह जाएंगे, हूबहू पीतल पर बना देते हैं चेहरा


Last Updated:

शिल्पगुरु चिरंजीलाल यादव मुरादाबाद में 1968 से पीतल पर नक्काशी कर रहे हैं. वे हूबहू चेहरा उकेरने की कला में माहिर हैं और कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सम्मान पा चुके हैं. अब उनका सपना पद्मश्री पुरस्कार जीतना है.

X

हूबहू नक्काशी से उकेर देते है किसी का भी चेहरा।

हाइलाइट्स

  • चिरंजीलाल यादव 1968 से पीतल पर नक्काशी कर रहे हैं.
  • वे हूबहू चेहरा उकेरने की कला में माहिर हैं.
  • उनका सपना पद्मश्री पुरस्कार जीतना है.

मुरादाबाद- उत्तर प्रदेश का मुरादाबाद दुनियाभर में ‘पीतल नगरी’ के नाम से मशहूर है. यहां बनने वाले पीतल के बर्तन और सजावटी सामान न केवल देशभर में बल्कि विदेशों तक निर्यात किए जाते हैं. पर इन उत्पादों को जो सबसे खास बनाता है, वह है यहां के शिल्पगुरुओं की बेमिसाल नक्काशी.

नक्काशी में बसी है आत्मा
मुरादाबाद की पहचान सिर्फ पीतल से नहीं, बल्कि उस पर की गई महीन कारीगरी से है. इस शहर में कई शिल्पगुरु हैं जो पीतल की सतह पर अद्भुत कलात्मकता के साथ नक्काशी करते हैं. इन्हीं में से एक हैं चिरंजीलाल यादव, जिन्होंने अपने 57 वर्षों के अनुभव से इस कला को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है.

1968 से गढ़ रहे हैं कला की मिसाल
शिल्पगुरु चिरंजीलाल यादव ने अपनी नक्काशी की यात्रा वर्ष 1968 में शुरू की थी. उन्होंने यह कला आदर्शनगर के अमर सिंह जी से सीखी, जिन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. ज़ाकिर हुसैन से नेशनल अवॉर्ड मिला था. चिरंजीलाल ने उसी लगन और समर्पण से सीखकर, खुद को इस क्षेत्र का जाना-माना नाम बना लिया.

हर चेहरे में रच-बस जाती है नक्काशी
चिरंजीलाल यादव की सबसे खास बात है उनकी हूबहू चेहरा उकेरने की कला. वे केवल देख कर किसी का चेहरा पीतल पर इस कदर उकेर सकते हैं कि देखने वाला चौंक जाए. वे अंगूरी वर्क, बर्मा वर्क, और खासतौर पर मरोड़ी वर्क में माहिर हैं, जो बेहद बारीक और जटिल होती है.

सम्मानों की लंबी फेहरिस्त
शिल्पगुरु चिरंजीलाल यादव को शिल्पगुरु अवॉर्ड, स्टेट अवॉर्ड, नेशनल अवॉर्ड सहित कई संस्थाओं से सम्मान मिल चुका है. लेकिन उनका सपना यहीं नहीं रुका. वे अब पद्मश्री पुरस्कार जीतकर मुरादाबाद और देश का नाम ऊंचा करना चाहते हैं.

संघर्ष से सफलता तक का सफर
जहां एक ओर तकनीक का युग चल रहा है, वहीं चिरंजीलाल जैसे कलाकार पारंपरिक नक्काशी को जिंदा रखे हुए हैं. उनकी मेहनत और कला आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा है कि किस तरह लगन और मेहनत से किसी भी हुनर को वैश्विक पहचान दी जा सकती है.

homeuttar-pradesh

इस कारीगर की नक्काशी देख दंग रह जाएंगे, हूबहू पीतल पर बना देते हैं चेहरा



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *