उसे काटकर जिंदगी…संत प्रेमानंद ने पहलगाम हमले पर कह दी ऐसी बात, बिलबिला उठेगा पाकिस्तान

मथुरा: पहलगांव में हुए आतंकी हमले को लेकर पूरे देश में गुस्सा है. हर कोई इस समय पाकिस्तानियों और आतंकवादियों को सबक सिखाने की मांग कर रहा है. उन्हें सरकार पर भरोसा है कि कुछ न कुछ तो सरकार कड़ा कदम उठाएगी. वहीं, अब पहलगाम हमले पर वृंदावन के फेमस प्रेमानंद महाराज ने भी कुछ ऐसा कह दिया, जिससे पाकिस्तान के साथ साथ आतंकवादियों को भी मिर्ची लग जाएगी.
दूर-दूर से आते हैं लोग मिलने
प्रेमानंद महाराज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. वह एक आध्यात्मिक गुरु हैं, जिनकी प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैली है. शायद एकमात्र ऐसे संत हैं, जिनसे कोई नफरत नहीं करता. देश से लेकर विदेश तक के लोग वृंदावन के फेमस संत से मिलने पहुंचते हैं. वहीं, सोशल मीडिया पर छाए रहते हैं. वे अपने सत्संग के माध्यम से लोगों को सांसारिक और आध्यात्मिक जीवन का ज्ञान देते हैं. मगर, इस बार उनका गुस्सा देखा गया.
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पुलमावा हमले को लेकर नाराजगी
उन्होंने पुलवामा हमले को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की. संत प्रेमानंद ने कहा कि इनकी बुद्धि भ्रष्ट है. इन अधर्मियों का विनाश करो. कौन सा ऐसा धर्म है, जो दूसरों का अहित करने को कहता है. अभी पता चल जाए कि शरीर के किसी हिस्से में कैंसर है, तो उसे काटकर जिंदगी बचाई जाती है. दूसरों को पीड़ा देना, परेशान करना, ये कौन सा धर्म है? जो अपनी मनमानी को धर्म का नाम दे, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.
इंस्टाग्राम पर वायरल वीडियो
प्रेमानंद महाराज के इंस्टाग्राम अकाउंट ‘भजन मार्ग ऑफिशियल’ से वीडियो जारी किया गया है. संत ने कहा कि हर कोई अपने-अपने तरीके से गुस्से का इजहार कर रहा है. मगर, ऐसा कोई धर्म नहीं जो दूसरों के धर्म से पुष्ट होता हो. वह धर्म नहीं, अधर्म है. एक व्यक्ति से अगर एक गांव नष्ट हो रहा हो, अगर एक जिले से पूरा देश नष्ट हो रहा हो तो उसे शासन को ले लेना चाहिए. राक्षसी स्वभाव कभी धर्म नहीं हो सकता.
अपनी मनमानी को धर्म मानते…
उन्होंने आगे कहा कि जो मलिन स्वभाव, राक्षसी स्वभाव के हैं. दूसरों की हत्या करना, दूसरों को पीड़ा देना, दूसरों का विनाश करना, यह राक्षसी स्वभाव कभी धर्म नहीं हो सकता है. इनको शासन में लेना ही धर्म है. इनको दंड देना ही धर्म है. अगर इन लोगों की हिंसा नहीं रोकी गई तो वह लाखों लोगों को मार देंगे. हम देश, प्रजा और विश्व शांति के लिए ऐसे अधर्मियों पर शासन करें, जो अपनी बात को समझते नहीं हैं, केवल अपनी मनमानी को धर्म मानते हैं.