एक गिलास पानी से दौड़ी ट्रेन, युवाओं को मिली बड़ी सफलता, भारतीय रेलवे के बच सकते हैं 8000 करोड़

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एक गिलास पानी से दौड़ी ट्रेन, युवाओं को मिली बड़ी सफलता, भारतीय रेलवे के बच सकते हैं 8000 करोड़


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Bareilly News : बरेली में 4 युवा छात्रों ने अब पानी से चलने वाली ट्रेन का मॉडल बनाकर चौंका दिया है. बरेली के इस्लामिया गर्ल्स इंटर कॉलेज की लाईबा, काशिफा और यासमीन ने नाम की छात्राओं ने कॉलेज की कैंटीन में काम …और पढ़ें

बरेली के होनहार स्‍टूडेंटस ने मॉडल बनाकर तहलका मचा दिया है.

हाइलाइट्स

  • बरेली में छात्रों ने पानी से चलने वाली ट्रेन का मॉडल बनाया.
  • मॉडल ट्रेन का सफल परीक्षण इस्लामिया गर्ल्स इंटर कॉलेज में हुआ.
  • छात्र पेटेंट के लिए आवेदन करने की योजना बना रहे हैं.

रामविलास सक्‍सेना
बरेली .
कोयला और बिजली की धुआंधार बढ़ती कीमतों से छुटकारा पाने को बेताब बरेली में छात्रों ने अब पानी से चलने वाली ट्रेन का मॉडल बनाकर नई इवारत लिखने का दावा किया है. पानी से चलने वाली ट्रेन का मॉडल तैयार करने वाले छात्रों का दावा है कि यह ट्रेन पानी से बिजली बनाकर खुद व खुद चल सकती है और इस मॉडल ट्रेन का सफल परीक्षण भी कर लिया गया है . दावा किया गया है कि इस ट्रेन में बाहर से किसी भी तरह की एनर्जी का इस्तेमाल नहीं किया गया है और इसी वजह से यह ट्रेन पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल टेक्नोलॉजी पर तैयार की गई है. फिलहाल अब छात्रों का दावा है कि वह अब जल्दी ही अपनी इस टेक्नोलॉजी को पेटेंट के लिए आवेदन करेंगे.

पानी से चलने वाली इस मॉडल ट्रेन को तैयार करने का यह नजारा बरेली के इस्लामिया गर्ल्स इंटर कॉलेज का है. जहां पढ़ने वाली लाईबा, काशिफा और यासमीन ने नाम की छात्राओं ने कॉलेज की कैंटीन में काम करने वाले बीएससी के छात्र गोपाल के साथ मिलकर पानी से चलने वाली इस ट्रेन के मॉडल को तैयार किया है. छात्रों की इस टीम की माने तो ढाई सौ एमएल पानी में यह 50 मी तक ट्रेन दौड़ती है . जिसका न्यूज़ 18 के कमरे पर इस अनोखे मॉडल का पहला सफल परीक्षण इस्लामिया गर्ल्स इंटर कॉलेज के परिसर में किया गया.

हाई स्कूल और इंटरमीडिएट में पढ़ने वाली यह तीनों छात्राएं अपने साथी गोपाल के साथ ट्रेन के मॉडल के सफल हो जाने पर बेहद ही उत्साहित हैं. पानी से चलने वाली इस ट्रेन के मॉडल को तैयार करने वाले चारों छात्रों का दावा है कि वह प्रोजेक्ट पर पिछले करीब 5 साल से लगातार मेहनत कर रहे हैं. और 5 साल में करीब 5 लाख रुपए इस मॉडल पर खर्च भी हुआ है. और अब इस टीम का दावा है कि मैं देश के लिए कुछ नया करना चाहता था . यह ट्रेन आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया की भावना को भी सरकार करेगी. तो फिलहाल अब यह छात्र स्कूल मैनेजमेंट के साथ मिलकर जल्दी ही इसको पेटेंट के लिए एप्लीकेशन फाइल करने की बात कह रहे हैं.

फिलहाल अब ट्रेन के मॉडल का सफल परीक्षण हो जाने के बाद अब जहां एक ओर छात्रों की टीम पेटेंट हासिल करने की कोशिश में जुटी हुई है तो वहीं अगर इन छात्रों का यह परीक्षण सफल होता है तो इससे भारत के साथ-साथ दुनिया में इस तकनीक का इस्तेमाल कर रेल के साथ-साथ दूसरे तमाम इंजनों से भी हजारों लाखों करोड रुपए की बचत करने में कामयाब हो जाएंगे. तो अब तो यह आने वाला समय ही बताएगा की छात्रों के इस दावे में कितना दाम है ?

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