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ऐसे करें मक्के की बुवाई, कम लागत में होगी अधिक पैदावार, जानिए नई खेती तकनीक

Mera Pratapgarh June 23, 2025 0
ऐसे करें मक्के की बुवाई, कम लागत में होगी अधिक पैदावार, जानिए नई खेती तकनीक


Last Updated:June 23, 2025, 22:44 IST

मक्का की खेती अब एक नई दिशा पकड़ चुकी है. लाइन शोइंग तकनीक से किसानों को कम लागत में अधिक पैदावार मिल रही है. कृषि विभाग की पहल और किसानों की मेहनत से अब यह क्षेत्र दोहरी आमदनी की मिसाल बनता जा रहा है.

हाइलाइट्स

  • कौशांबी में किसान गेहूं के बाद मक्का और धान की दोहरी फसल ले रहे हैं.
  • मक्का की खेती में अब बीज छिड़कने की बजाय नई तकनीक से हो रही है.
  • इससे कम लागत में अधिक पैदावार मिल रही है.

कौशांबी: किसान अब खेती के पारंपरिक तरीकों को पीछे छोड़ते हुए नई तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे उन्हें दोगुना फायदा मिल रहा है. खासकर मक्के की खेती में आया बदलाव किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है. पहले किसान मक्का की बुवाई के लिए बीज का छिड़काव करते थे, लेकिन अब वे ‘लाइन शोइंग’ यानी रस्सी के सहारे लाइन में बुवाई कर रहे हैं. इससे खेतों में न सिर्फ बीज की खपत कम हो रही है, बल्कि खाद की मात्रा भी घट गई है और उत्पादन में जबरदस्त इजाफा देखने को मिल रहा है.

कृषि अधिकारी शुभेन्द्र कुमार पटेल ने लोकल18 को बताया कि मक्का की बुवाई से पहले किसानों को बीज का अच्छी तरह से उपचार करना चाहिए. बीज को शोधित करके बुवाई करने से फसल में कीड़े- मकोड़ों का प्रकोप नहीं होता और फसल तेजी से विकसित होती है. उन्होंने बताया कि कार्डब हाइड्रोक्लोराइड जैसे कीटनाशकों का संतुलित मात्रा में प्रयोग करने से फसल सुरक्षित रहती है और उपज भी काफी बेहतर मिलती है.

लाइन शोइंग तकनीक ने बदली खेती की तस्वीर
पहले किसानों की मक्का की खेती में ज्यादा मेहनत लगती थी लेकिन उत्पादन उम्मीद से कम होता था. अब जैसे-जैसे तकनीक विकसित हुई, किसानों ने लाइन शोइंग को अपनाना शुरू किया. इस विधि में एक रस्सी की सहायता से खेत में सीधी लाइनों में बीज बोए जाते हैं, जिससे पौधों को बराबर जगह मिलती है और खाद भी जरूरत अनुसार ही डाली जाती है. इससे उत्पादन बढ़ता है और लागत घटती है.

मक्का और धान से हो रही है बंपर कमाई
कौशांबी के किसान गेहूं की कटाई के तुरंत बाद मक्का की बुवाई कर लेते हैं. इसके बाद धान की नर्सरी भी तैयार की जाती है. यानी एक ही खेत में किसान मक्का और धान दोनों फसलें उगा लेते हैं. इससे उनकी आमदनी दो गुना हो जाती है. पहले जहां सिर्फ एक फसल होती थी, अब दो फसलें लेकर किसान अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहे हैं.

किसानों का कहना है कि पहले जहां एक बीघे में करीब 6- 7 किलो बीज लगता था, अब लाइन शोइंग के जरिए यह मात्रा घटकर 3- 4 किलो रह गई है. इससे बीज की खपत कम होती है और पैदावार अधिक मिलती है. साथ ही समय की भी बचत होती है. किसानों के मुताबिक नई तकनीक अपनाने से मेहनत उतनी ही रहती है लेकिन फायदा दोगुना होता है.

Location :

Kaushambi,Uttar Pradesh

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