क्या आपके बच्चे भी तनाव में हैं? कानपुर विश्वविद्यालय का यह कोर्स बदल सकता है

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क्या आपके बच्चे भी तनाव में हैं? कानपुर विश्वविद्यालय का यह कोर्स बदल सकता है


अखंड प्रताप सिंह/ कानपुर- आज के समय में छात्र और युवा मानसिक तनाव से सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं. कई प्रतिष्ठित संस्थानों में पढ़ने वाले छात्र अत्यधिक तनाव के कारण आत्महत्या जैसे गंभीर कदम उठा रहे हैं. इसी कारण, इन संस्थानों में मनोवैज्ञानिक भी नियुक्त किए जाते हैं जो समय-समय पर छात्रों की काउंसलिंग करते हैं. अब छात्रों को जीवन जीने की कला सिखाने और उनके मानसिक तनाव को कम करने के लिए कानपुर विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) ने ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ का विशेष पाठ्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया है.

विश्वविद्यालय और ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ संस्था के बीच समझौता
छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) के छात्र अब ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ संस्था के पाठ्यक्रमों की पढ़ाई करेंगे. पहली बार विश्वविद्यालय और ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ संस्था के बीच इस संबंध में एक समझौता हुआ है. इस कोर्स में छात्रों को ध्यान (मेडिटेशन), सुदर्शन क्रिया और मानसिक शांति से जुड़ी अन्य तकनीकों की जानकारी दी जाएगी.

छह दिनों तक चलेगा कोर्स
यह पाठ्यक्रम छह दिनों तक चलेगा, जिसमें रोजाना तीन घंटे की कक्षाएं होंगी. छात्रों को मानसिक तनाव से निपटने के लिए उपयोगी तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाएगा.

विशेषज्ञ देंगे प्रशिक्षण
इस कोर्स को सफलतापूर्वक संचालित करने के लिए विश्वविद्यालय ने 100-100 छात्रों के बैच तैयार किए हैं. प्रत्येक बैच को ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के विशेषज्ञ प्रशिक्षित करेंगे. वे छात्रों को तनाव दूर करने के उपाय, सकारात्मक सोच विकसित करने और मन की शांति प्राप्त करने के तरीके सिखाएंगे. इस दौरान छात्र अपने व्यक्तिगत अनुभव भी विशेषज्ञों के साथ साझा कर सकेंगे.

क्लिनिकल साइकोलॉजी कोर्स भी होगा शुरू
कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय पाठक ने बताया कि इस सत्र से विश्वविद्यालय में ‘क्लिनिकल साइकोलॉजी’ का कोर्स भी शुरू किया जा रहा है, जिसे भविष्य में ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के पाठ्यक्रमों से जोड़ा जाएगा. इसके लिए विश्वविद्यालय में एक विशेष यूनिट बनाई जाएगी, जो छात्रों की मानसिक उलझनों को दूर करने में मदद करेगी.

कोर्स के लिए फंडिंग की योजना
छह दिनों तक चलने वाले इस कोर्स को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन फंड की व्यवस्था कर रहा है. कुलपति ने बताया कि कुछ पाठ्यक्रम ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ संस्था द्वारा प्रायोजित (स्पॉन्सर) किए जाएंगे, जबकि अन्य पाठ्यक्रमों के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन पूर्व छात्रों और अन्य संस्थानों से आर्थिक सहयोग लेने की योजना बना रहा है.

आईआईटी और एचबीटीयू में पहले से संचालित
‘आर्ट ऑफ लिविंग’ संस्था के प्रतिनिधि राजेश जगासिया ने बताया कि यह पाठ्यक्रम पहले से ही आईआईटी कानपुर और एचबीटीयू में संचालित हो रहे हैं. आईआईटी में 2004 से और एचबीटीयू में 2005 से ये कोर्स चल रहे हैं. हर साल बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं इन पाठ्यक्रमों में दाखिला लेते हैं.

छात्रों को मिलेगा मानसिक लाभ
विश्वविद्यालय प्रशासन का मानना है कि इस कोर्स से छात्रों को अच्छी पढ़ाई के साथ-साथ मानसिक शांति भी मिलेगी. आज के दौर में युवा कई तरह के तनाव से गुजरते हैं. यह कोर्स उन्हें ध्यान (मेडिटेशन) और सुदर्शन क्रिया जैसी तकनीकों के माध्यम से तनाव मुक्त रहने में मदद करेगा.

यह पहली बार है जब कानपुर विश्वविद्यालय में इस तरह का पाठ्यक्रम शुरू किया जा रहा है. इससे छात्रों का मानसिक और भावनात्मक विकास होगा और वे अपनी पढ़ाई पर बेहतर तरीके से ध्यान केंद्रित कर सकेंगे.



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