गर्भग्रह में बाबा विश्वनाथ के लिए लगाई गई जलधारी, हो रहा अटूट जलाभिषेक, 300 साल पुरानी है परंपरा

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Kashi Vishwanath Dham: सालों से चली आ रही परंपरा के अनुसार बाबा विश्वनाथ को गर्मी से राहत देने के लिए मध्यान भोग आरती के बाद पूरे दोपहर जलाभिषेक किया जा रहा है. पुजारी के अनुसार यह परंपरा करीब 300 साल पुरानी ह…और पढ़ें
बाबा विश्वनाथ को लगाई गई जलधारी
हाइलाइट्स
- बाबा विश्वनाथ पर जलधारी से जलाभिषेक होता है.
- करीब 300 साल पुरानी परंपरा है.
- अक्षय तृतीया से सावन पूर्णिमा तक जलधारी लगती है.
वाराणसी: देशभर में गर्मी का प्रकोप जारी है. गर्मी के इस कहर के बीच इससे बचने के लिए लोग तरह तरह के उपाय कर रहे हैं. इस बीच धर्म नगरी काशी में भक्त और भगवान के बीच अटूट प्रेम की एक तस्वीर सामने आई है. दरअसल सालों से चली आ रही परंपरा के अनुसार इस साल भी नाथों के नाथ काशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा पर जलधारी (फव्वारा) के जरिए गंगा जल से अटूट जलाभिषेक किया जा रहा है.
मंदिर के पुजारी ने दी जानकारी
मंदिर के अर्चक चेत नारायण ने बताया, कि अक्षय तृतीया से ग्रीष्म ऋतु का प्रभाव और भी तीखा हो जाता है. जिसको देखते हुए बाबा विश्वनाथ के गर्भगृह में जलधारी लगाई जाती है. इस जलधारी के जरिए गंगा जल से अटूट जल की धारा से बाबा का अभिषेक होता है. परंपरानुसार मध्यान भोग आरती के बाद से पूरे दोपहर भर इस जलधारी से बाबा का अभिषेक किया जाता है.
मंदिर निर्माण से चली आ रही है परंपरा
वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि यानी अक्षय तृतीया से इसकी शुरुआत होती है और सावन पूर्णिमा तक यह जलधारी लगाई जाती है. मंदिर के अर्चको के अनुसार यह परंपरा सदियों पुरानी है. जब से मंदिर का निर्माण हुआ है तब से हर साल बाबा पर जलधारी लगाई जाती है. माना जा रहा है करीब 300 सालों से यह परंपरा चली आ रही है.
भक्त भावना के प्रेम का है प्रतीक
अर्चक चेत नारायण ने बताया, कि वैसे तो बाबा विश्वनाथ कैलाश पति हैं, उन पर किसी भी मौसम का प्रभाव नहीं पड़ता है, लेकिन काशी में भक्त अपने भावना से अलग- अलग मौसम के हिसाब से उनके लिए अलग- अलग इंतजाम करते हैं, जो भक्त भगवान के बीच अटूट प्रेम को भी दर्शाता है.
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