जातीय जनगणना पर बोले मिर्जापुर के लोग, अब बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं

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Public Opinion: केंद्र की भाजपा सरकार ने जातीय जनगणना का ऐलान किया, जिससे राजनीतिक प्रभाव और बिहार चुनाव पर असर की चर्चा हो रही है. विशेषज्ञों ने इसे सियासी रूप से फायदेमंद बताया है. ऐसे में आइए जानते हैं मिर्ज…और पढ़ें
जातीय जनगणना
हाइलाइट्स
- केंद्र सरकार ने जातीय जनगणना का ऐलान किया.
- लोगों का मानना है कि इससे बेरोजगारी पर असर नहीं पड़ेगा.
- बिहार चुनाव पर जातीय जनगणना का असर दिखेगा.
मिर्जापुर: देश में जातीय जनगणना कराने के लिए केंद्र सरकार ने ऐलान कर दिया है. देश में जनगणना के साथ ही जातीय जनगणना कराई जाएगी. केंद्र सरकार के ऐलान के बाद अब राजनीतिक प्रभाव को लेकर चर्चा की जा रही है. इस फैसले के बाद आम लोगों ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि इससे देश में संख्या पता चल सकेगी कि कौन जाति के कितने लोग हैं. भविष्य में कोई विशेष फायदा की उम्मीद नहीं कि जा सकती है. यह राजनीतिक नजरिए से फायदेमंद है. साथ ही कहा कि इस घोषणा का बिहार चुनाव पर भी असर देखने को मिलेगा.
वरिष्ठ पत्रकार संजय दूबे ने बताया कि बिहार से मांग उठी थी कि जिसकी जितनी हिस्सेदारी, उसकी उतनी भागेदारी. राहुल गांधी सहित पूरा विपक्ष लगातार जातीय जनगणना की मांग कर रहा था. इस फैसले का सियासी नजरिए से फायदा है, लेकिन इससे किसी बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं कर सकते हैं. न बेरोजगारी खत्म होगी और न ही उद्योग बढेंगे. जातीय जनगणना से सिर्फ जाति के लोगों की संख्या पता चल सकता है.
एक देश की जनसंख्या कम करने की जरूरत
अधिवक्ता शिवम श्रीवास्तव ने बताया कि जातीय जनगणना की मांग काफी दिनों से चल रही थी, लेकिन बीजेपी बिहार चुनाव से पहले जनगणना कराने का ऐलान करती है. बीजेपी ये मुखर होकर कहती है कि जाति में कोई भरोसा नहीं है. सब हिंदू हैं, लेकिन अब बीजेपी की सरकार जनगणना कराने की बात कह रही है.
अधिवक्ता शिवम ने कहा कि इसका मतलब है कि सरकार दबाव में है. वर्तमान में जनसंख्या पता करने का नहीं है. बल्कि एक देश की जनसंख्या कम करने की जरूरत है. यह सबसे प्रमुख और जरूरी मांग है. इस मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए यह ऐलान हुआ है.