‘तराई के स्वर्ग’ में सिमटा आम के पेड़ों का दायरा… इतने क्षेत्रफल में हुआ सीमित

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‘तराई के स्वर्ग’ में सिमटा आम के पेड़ों का दायरा… इतने क्षेत्रफल में हुआ सीमित


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Pilibhit News : तराई क्षेत्र के पीलीभीत जिले में आम के पेड़ों का दायरा अंधाधुंध कटान के बाद 3200 हेक्टेयर में सिमट गया है. जानकार बताते हैं कि एक समय में तराई के जिले पीलीभीत में आम के बाग बहुतायत में थे. पीलीभ…और पढ़ें

सांकेतिक फोटो.

हाइलाइट्स

  • तराई क्षेत्र में आम के पेड़ों का दायरा 3200 हेक्टेयर में सिमटा.
  • इस बार आम के पेड़ों में बौर अच्छी मात्रा में आई है.
  • अच्छी फसल की उम्मीद, अगर दैवीय आपदा न आए.

पीलीभीत. तराई क्षेत्र के बागों में इस बार आम के पेड़ों में बौर बड़ी मात्रा में आए हैं जिससे आम उत्पादकों को बेहतर फसल होने की उम्मीद जगी है. माना जा रहा है कि अगर दैवीय आपदा न आएं तो फसल अच्छी होगी. उद्यान विभाग ने भी बेहतर उत्पादन की संभावना जताई है. लेकिन चिंताजनक पहलू है कि जिले में आम के पेड़ों के अंधाधुंध कटान के बाद इनका दायरा महज 3200 हेक्टेयर में रह गया है.

जानकार बताते हैं कि एक समय में तराई के जिले पीलीभीत में आम के बाग बहुतायत में थे. पीलीभीत शहर के आसपास बड़े-बड़े बाग हुआ करते थे जिन्हें काटकर कालोनियां बसाई जा चुकी है. जबकि अमरिया, माधोटांडा पूरनपुर आम के बागों की पट्टी हुआ करती थी. वर्तमान में अंधाधुंध पेड़ कटान की वजह से आम के बागों की संख्या काफी कम रह गई है.

किसानों को अच्छे उत्पादन की आस
तराई क्षेत्र के बागों में उत्पादित आम की काफी मांग है. लेकिन घटते उत्पादन के चलते यहां के बागों में उत्पादित आम की अधिकांश खपत जिले में ही हो जाती है, हालांकि आम की फसल का कुछ हिस्सा पड़ोसी जनपदों में बिक्री के लिए भेजा जाता है. इस वर्ष प्रारंभिक फसल को देखते हुए अच्छी उम्मीद जताई जा रही है. बागों में बंबईया, चौसा, दशहरी, लंगड़ा, फजरी आदि आम की पैदावार की जाती है, जिसकी मांग बहुत अधिक है.

3200 हेक्टेयर में सिमटे आम के बाग
उद्यान विभाग के मुताबिक जिले में 3200 हेक्टेयर क्षेत्र में आम के बाग मौजूद हैं. जबकि एक पेड़ पर लगभग 2 क्विंटल आम की फसल होती है. यहां के बागों के आमों को दिल्ली, लखनऊ, जयपुर की मंडियों में बिक्री के लिए भेजा जाता है, जहां पर फसल की अच्छी कीमत मिलती है. फिलहाल आम की फसल अच्छी है, अगर आम उत्पादक समय से बागों में रोगों की रोकथाम कर लेंगे, तो उत्पादन अच्छा मिलेगा.

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‘तराई के स्वर्ग’ में सिमटा आम के पेड़ों का दायरा, इतने क्षेत्रफल में हुआ सीमित



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