ताजमहल को वक्फ संपत्ति का हुआ था दावा, तो सुप्रीम कोर्ट ने फटकारा, जानें मामला

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ताजमहल को वक्फ संपत्ति का हुआ था दावा, तो सुप्रीम कोर्ट ने फटकारा, जानें मामला


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Waqf Bill: ताजमहल को भी वक्फ संपत्ति घोषित करने के कई दावे हो चुके हैं, लेकिन वह बोर्ड की संपत्ति के रूप में पंजीकृत नहीं हो सका. एक बार यूपी सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इसे वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज भी कर …और पढ़ें

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ताजमहल

हाइलाइट्स

  • सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल पर वक्फ बोर्ड का दावा खारिज किया.
  • शाहजहां के दस्तखत वाला वक्फनामा पेश नहीं कर सका बोर्ड.
  • आजम खान ने भी ताजमहल को वक्फ संपत्ति घोषित करने की मांग की थी.

आगरा: संसद के दोनों सदनों में वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पारित हो चुका है. अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन गया है. इस विधेयक को लेकर देश के कई हिस्सों में मुस्लिम समाज के लोग विरोध कर रहे हैं, लेकिन इस बीच एक बार फिर ताजमहल को लेकर पुराना विवाद चर्चा में आ गया है, जब इस विश्व प्रसिद्ध इमारत पर वक्फ बोर्ड ने अपना दावा ठोंका था.

सुप्रीम कोर्ट की सख्ती से टूटा वक्फ बोर्ड का दावा

ताजमहल को वक्फ संपत्ति घोषित करने के कई दावे हुए, लेकिन वह बोर्ड की संपत्ति के रूप में पंजीकृत नहीं हो सका. एक बार यूपी सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इसे वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज भी कर लिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के सामने शाहजहां के दस्तखत वाला वक्फनामा पेश करने में असफल रहा. इसके बाद बोर्ड ने स्वयं ही अपना दावा वापस ले लिया था.

ताजमहल का ‘केयरटेकर’ बनने की कोशिश

1998 में फिरोजाबाद के व्यवसायी इरफान बेदार ने यूपी सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड से ताजमहल को वक्फ संपत्ति घोषित करने की मांग की थी. उन्होंने ताजमहल का मुतवल्ली यानी देखरेख करने वाला बनाये जाने की अपील की थी. चूंकि ताजमहल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अंतर्गत आता है. इसलिए वक्फ बोर्ड ने एएसआई को नोटिस भेजा. बाद में इरफान बेदार खुद 2004 में इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गए. हाईकोर्ट ने इस याचिका पर विचार के लिए वक्फ बोर्ड को निर्देशित किया.

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा– शाहजहां ने दस्तखत कैसे किए?

2005 में वक्फ बोर्ड ने ताज को अपनी संपत्ति के रूप में पंजीकृत करने का निर्णय लिया. एएसआई ने इस फैसले को वक्फ ट्राइब्यूनल में चुनौती देने के बजाय सीधे सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने बोर्ड के निर्णय पर रोक लगा दी और उनसे सबूत मांगे. बोर्ड का दावा था कि शाहजहां ने ताजमहल को वक्फ कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि शाहजहां ने दस्तखत कैसे किए. जबकि वह उस समय कैद में थे. वहीं, एएसआई की ओर से वकील एडीएन राव ने स्पष्ट किया कि ऐसा कोई वक्फनामा मौजूद ही नहीं है.

आजम खां की भी थी यही मांग

साल 2014 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मंत्री और सपा नेता मोहम्मद आजम खां ने भी ताजमहल को वक्फ संपत्ति घोषित करने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि चूंकि ताजमहल में दो मुसलमानों  शाहजहां और मुमताज की कब्रें हैं. इसलिए इसे वक्फ बोर्ड के अधीन किया जाना चाहिए. उन्होंने दलील दी कि देश में मुसलमानों की कब्रें सामान्यतः सुन्नी वक्फ बोर्ड के अंतर्गत होती हैं.

हालांकि सरकार ने यह मांग यह कहते हुए खारिज कर दिया कि ताजमहल राष्ट्रीय स्मारक है. हालांकि अब इस नए वक्फ़ बोर्ड संसोधन कानून के पारित होने के बाद से आप 90 दिनों के भीतर वक्फ़ की संपत्ति विवाद को लेकर हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं. इससे पहले इस तरह का कानून नहीं था.

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