दिव्यांग नहीं, दबंग है ये अफसर!अकेले दम पर कर दिखाए ऐसे एडवेंचर, लोग रह गए दंग

मुरादाबाद: “अगर हौसले बुलंद हों तो कोई भी कमी रास्ता नहीं रोक सकती.” इस कहावत को सच्चाई में बदल दिया है उत्तराखंड के रहने वाले विवेक जोशी ने, जो आज मुरादाबाद रेलवे में सीनियर डीएमएम के पद पर तैनात हैं. जन्म से ही उनके दोनों हाथ नहीं हैं, लेकिन हिम्मत और हौसले की जो मिसाल उन्होंने कायम की है, वो लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है.
बिना हाथों के उन्होंने लद्दाख में 10,500 फीट की ऊंचाई से बंजी जंपिंग की है. ये जगह दुनिया की सबसे ऊंची बंजी जंप साइट्स में से एक है. उन्होंने दोनों पैरों में रस्सी बांधकर छलांग लगाई थी. अब तक वो 30 से ज्यादा हाई एटीट्यूड ट्रेक्स कर चुके हैं.
हिमालय की ऊंचाइयों को कर चुके हैं फतह
विवेक उत्तराखंड के रूपकुंड, पिंडारी ग्लेशियर और हिमाचल के हमटा दर्रे जैसे 14,000 फीट ऊंचे इलाकों को पार कर चुके हैं. वहां ऑक्सीजन की भी भारी कमी होती है, लेकिन उनका जोश कभी कम नहीं हुआ. उन्होंने लवासा (पुणे) में 20 फीट गहरी झील में जेटोबिटर मशीन से वाटर बाइक चलाई और हिमाचल में पैराग्लाइडिंग भी की है.
विवेक न सिर्फ एडवेंचर के शौकीन हैं, बल्कि फिटनेस के मामले में भी अव्वल हैं. जिम में वो एक हाथ और दूसरे कंधे की मदद से 200 किलो तक वजन उठा लेते हैं, जो कि आम लोगों के लिए भी आसान नहीं.
चाचा से मिला इंस्पिरेशन, पत्नी बनीं ताकत
विवेक जोशी बताते हैं कि बचपन में उन्होंने खुद को कमतर समझा, लेकिन उनके चाचा आनंद बल्लभ जोशी (जो मरीन कमांडो थे), माता-पिता और पत्नी ऐश्वर्या नयाल ने उन्हें संभाला और प्रोत्साहित किया. विवेक कहते हैं, “मैंने एक हाथ खोया है, लेकिन चार दिलों की ताकत पाई है.”
वो बताते हैं कि उनकी पत्नी ने कभी उन्हें एडवेंचर से रोका नहीं, बल्कि उन्हें हर कदम पर प्रेरणा दी. 15 अप्रैल को जब विवेक ने बंजी जंपिंग की थी, तब भी ऐश्वर्या ने उन्हें पूरे मन से प्रोत्साहित किया.
विवेक जोशी उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के लमगड़ा कस्बे के रहने वाले हैं. उन्हें तैराकी का शौक है और क्रिकेट भी सिर्फ एक हाथ से खेलने का हुनर रखते हैं. रेलवे स्टेडियम में हुए अफसरों के क्रिकेट मेत्री मैच में वो 30 से 50 रन तक बना चुके हैं. वहीं एडवेंचर स्पोर्ट्स में उनके पास कई ट्रॉफी भी है. साथ ही 15 से ज्यादा हाफ मैराथन और एक फुल मैराथन (42.195 किमी) में भाग ले चुके हैं. तीन बार रेलवे की ओर से भी वो मैराथन दौड़ चुके हैं.
यह भी पढ़ें: रिटायर फौजी का नया सफर! 49 साल की उम्र में पुलिस में हुए भर्ती, अब खाकी पहनकर करेंगे जन सेवा