दूल्हा-दुल्हन की आंखों को बंद करके निभाई जाती है ये अनोखी परंपरा, जानिए क्यों

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मटकोड़ (मिट्टी खोदना) की रस्म बलिया के लिए प्राचीन और परंपरागत है. यह रस्म हर हिंदू के घर में विवाह शादी के दौरान जरूर किया जाता है.
मटकोड़ की रस्म करती महिलाएं
हाइलाइट्स
- मटकोड़ रस्म बलिया में विवाह के दौरान की जाती है.
- महिलाएं मिट्टी खोदकर देवी-देवताओं का आशीर्वाद लेती हैं.
- दूल्हा-दुल्हन की आंखें बंद कर मटकोड़ की रस्म निभाई जाती है.
बलिया: लगन का दिन शुरू हो चुका है, ऐसे में कहीं तिलक, कही शहनाई तो कहीं विवाह देखने को मिल रहा है यानी कुल मिलाकर मौसम खुशनुमा सा हो जाता है. लेकिन इस बीच हम आपको विवाह संस्कार के दौरान होने वाले एक ऐसे रस्म के बारे में बताने जा रहे हैं, जो बलिया में आज भी पूरी तरह से बरकरार है. हर हिंदू के घरों में विवाह शादी के दौरान यह रस्म जरूर देखने को मिलती है. यह रस्म खास तौर से महिलाओं से जुड़ी होती है. मान्यता है कि मटकोड़ रस्म में देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है, जिससे दूल्हा और दुल्हन को जीवन में सफलता मिलती है. जिसमें महिलाएं दौरी, पूजन की सामग्री और कुदाल लेकर घर से बाहर निकलती हैं. आगे जानिए…
विवाहित महिला बलिया निवासी कंचन सिंह ने बताया कि विवाह शादी में तमाम रस्में होती हैं. इनमें से मटकोड़ (मिट्टी खोदना) की रस्म बलिया के लिए प्राचीन और परंपरागत है. यह रस्म हर हिंदू के घर में विवाह शादी के दौरान जरूर किया जाता है. वैसे विवाह शादी हर जगह होता है, लेकिन रस्में अलग-अलग तरीके से की जाती हैं. यह रस्म दूल्हा और दुल्हन के घर की महिलाएं धरती माता से आशीर्वाद लेने के लिए करती हैं. यह रस्म शादी और हल्दी की रस्म से पहले की जाती है.
कैसे होती है मटकोड़ की रस्म
यहां हर गांव के बाहर एक खास जगह तय होती है, जहां गांव में किसी के घर विवाह शादी पड़ता है, तो उस घर की महिलाएं इस जगह पर मटकोड़ की रस्म करती हैं. इसके लिए महिलाएं अपने साथ पांच दौरा यानी बांस का बना हुआ बड़े गमले के आकर का एक बर्तन और पूजन की सामग्री लेकर जाती हैं. मिट्टी खोदने के बाद इन पांचों दौनों में थोड़ा-थोड़ा मिट्टी रख करके घर ले जाती हैं, जो विवाह के मंडप में अंतिम रस्म तक काम आता है.
दूसरी बार:- मटकोड़ का रस्म दोबारा दूसरी बार घर के उस दिशा में किया जाता है, जिस दिशा में दुल्हन या दूल्हे का घर हो. यहां की मिट्टी खोदकर उसमें पान, सुपारी और पैसे डाल दिए जाते हैं. अब इसको दूल्हा या दुल्हन की भाभियों ढूंढवाती हैं. ढूंढते समय दूल्हा या दुल्हन की मां दूल्हा या दुल्हन की आंखों को बंद की रहती हैं. इस दौरान महिलाएं आपस में खूब नाचती और गाती हैं. इधर इसमें एक नया प्रचलन आया है कि, “सभी महिलाएं पीला वस्त्र पहनकर मटकोड़ की रस्म कर रही है. इसकी कई मान्यता महिलाएं बताती हैं.