फर्रुखाबाद के इस किसान से सीखे बागवानी के जरिए लाखों कमाने का आइडिया!

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Gardening Success: फर्रुखाबाद के बबलू राजपूत ने जिलाधिकारी से प्रेरित होकर बागवानी में सफलता पाई. आलू की खेती में नुकसान के बाद उन्होंने सेब, अंजीर, बादाम और नारियल की खेती शुरू की और अच्छा मुनाफा कमाया.
किसान बबलू राजपूत
हाइलाइट्स
- बबलू राजपूत ने बंजर भूमि पर बादाम की खेती में सफलता पाई.
- बादाम की बढ़ती मांग से फर्रुखाबाद के किसानों को लाभ हो रहा है.
- बागवानी से बबलू राजपूत ने 70,000 रुपये का मुनाफा कमाया.
फर्रुखाबाद: मौसम की चुनौतियों का सामना करते हुए बबलू राजपूत ने बागवानी में सफलता की मिसाल पेश की है. फर्रुखाबाद जिले के बबलू राजपूत ने जिलाधिकारी से प्रेरणा लेकर बागवानी की शुरुआत की, और अब उनकी बंजर पड़ी ज़मीन पर महंगी बिकने वाली बादाम की फसल लहरा रही है. उनका यह प्रयास न केवल उनके लिए बल्कि अन्य किसानों के लिए भी एक इंस्पिरेशन बन गया है.
बादाम की बढ़ती डिमांड
बबलू राजपूत बताते हैं कि शुरुआत में बागवानी करना थोड़ा मुश्किल था, लेकिन जब उन्हें अच्छा मुनाफा मिलने लगा, तो उनका उत्साह और व्यापार दोनों ही बढ़ने लगे. आज, बादाम की बढ़ती मांग के चलते फर्रुखाबाद के साथ-साथ अन्य जिलों जैसे बाराबंकी, बांदा, और लखनऊ से भी भारी डिमांड आ रही है. बागवानी का कारोबार अब काफी फायदेमंद साबित हो रहा है.
आलू में नुकसान से लेकर बागवानी तक का सफर
बबलू ने बताया कि फर्रुखाबाद में किसान आलू की खेती में भारी नुकसान उठा रहे हैं, जिस कारण वह भी अपनी पुश्तैनी खेती छोड़ने पर विचार कर रहे थे. लेकिन उन्होंने खेती छोड़ने के बजाय एक नया विकल्प अपनाया और बागवानी शुरू की. इस नए रास्ते से वह न केवल अच्छा लाभ कमा रहे हैं, बल्कि अन्य किसान भी उनके इस मॉडल को अपनाने की ओर प्रेरित हो रहे हैं.
सेब, अंजीर, बादाम और नारियल की खेती
किसान बबलू राजपूत ने पिछले साल फरवरी में 175 सेब के पेड़, 500 अंजीर के पेड़, 5 बादाम के पेड़ और 5 नारियल के पेड़ लगाए थे. शुरुआत में पेड़ छोटे थे, लेकिन समय के साथ वे अब अच्छे फल दे रहे हैं. इसके परिणामस्वरूप उन्होंने प्रति किलोग्राम 120 रुपये की दर से लगभग 70,000 रुपये का प्रॉफिट भी कमाया है.
कृषि विभाग का सहयोग और बढ़ती सफलता
किसान बबलू राजपूत के इस प्रयास को कृषि विभाग का भी पूरा सहयोग मिला है. अब जिले के अन्य किसान भी बागवानी की इस सफल पद्धति को अपनाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं. बबलू की मेहनत और सही मार्गदर्शन ने उन्हें बागवानी में एक नई दिशा दी, जिससे वह लाभ कमा रहे हैं और अन्य किसानों के लिए एक आदर्श बन गए हैं. उनका अनुभव यह साबित करता है कि बागवानी न केवल लाभकारी हो सकती है, बल्कि यह किसानों के लिए एक स्थिर और सुरक्षित आय का स्रोत भी बन सकती है. छोटे पेड़ों से भी अच्छी फसल आ रही है, और उनकी मांग भी लगातार बढ़ रही है, जो कि बागवानी के व्यवसाय को और भी फायदेमंद बना रही है.