फर्रुखाबाद में छाया लंगड़ा और चौसा आम का जलवा! मीठे स्वाद ने बनाया सबका फेवरेट

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Farrukhabad News: फर्रुखाबाद में लंगड़ा और चौसा आम की मांग बढ़ी है. किसान विदेशी किस्मों की बागवानी कर लाखों रुपये कमा रहे हैं. हिमांशु विश्नोई ने 100 नई प्रजातियों के पौधे लगाए हैं, जिससे आमदनी बढ़ी है.
हाइलाइट्स
- फर्रुखाबाद में लंगड़ा और चौसा आम की मांग बढ़ी.
- विदेशी किस्मों की बागवानी से किसानों को बड़ा मुनाफा.
- हिमांशु विश्नोई ने 100 नई प्रजातियों के पौधे लगाए.
फर्रुखाबाद: उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में इन दिनों लंगड़ा और चौसा आम की खूब मांग है. चाहे मंडी हो या सड़क किनारे लगी दुकानें, हर जगह इन दोनों किस्मों के खरीदारों की भीड़ देखी जा रही है. लेकिन इस बार कुछ और भी खास हो रहा है किसान अब विदेशी किस्मों की बागवानी कर नई ऊंचाइयों तक पहुंच रहे हैं और सालाना लाखों रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं.
फर्रुखाबाद के लंगड़ा आम की खासियत
स्थानीय दुकानदारों के मुताबिक, ग्राहक अब दशहरी से ज्यादा लंगड़ा आम खरीदना पसंद कर रहे हैं. इसका कारण है इसकी पतली छिलके वाली बनावट, बेहद मीठा स्वाद और अधिक गूदा. फुटकर बाजार में यह आम 40 से 80 रुपये प्रति किलो और थोक बाजार में 50 से 60 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. इसके अलावा चौसा की भी इन दिनों मार्केट में काफी डिमांड है.
किसानों को मिल रहा बड़ा मुनाफा
फर्रुखाबाद के किसान पारंपरिक किस्मों जैसे दशहरी, चौसा, फजली और लंगड़ा की बागवानी कर सालों से मुनाफा कमा रहे थे, लेकिन अब इनकी जगह आम्रपाली, हुस्न आरा, मलिका, अरुणिमा, रतौल, जौहरी और केसर जैसी विदेशी प्रजातियां ले रही हैं. किसानों ने करीब 8 बीघा में टेक्निकल बागवानी शुरू की है और अब उन्हें सालाना 5 लाख रुपये तक की कमाई हो रही है.
फर्रुखाबाद के किसान पारंपरिक किस्मों जैसे दशहरी, चौसा, फजली और लंगड़ा की बागवानी कर सालों से मुनाफा कमा रहे थे, लेकिन अब इनकी जगह आम्रपाली, हुस्न आरा, मलिका, अरुणिमा, रतौल, जौहरी और केसर जैसी विदेशी प्रजातियां ले रही हैं. किसानों ने करीब 8 बीघा में टेक्निकल बागवानी शुरू की है और अब उन्हें सालाना 5 लाख रुपये तक की कमाई हो रही है.
किसान हिमांशु विश्नोई बताते हैं कि वे 35 सालों से आम की बागवानी कर रहे हैं. अब उन्होंने करीब 60 से 70 विदेशी आम के पौधे भी तैयार किए हैं. इन किस्मों में खास बात यह है कि 2 साल के अंदर ही पेड़ों में फल आना शुरू हो जाता है और ये फल ज्यादा टिकाऊ और स्वादिष्ट होते हैं.