भिखारी माफिया का बढ़ता कहर। क्या है भिखारी की सच्चाई। क्यों बढ़ रही भिखारियों की संख्या?

हाईलाइट
- भिखारियों की संख्या में वृद्धि
- भिखारी माफिया कौन है क्या काम है इनका?
- भिखारी की मदद कैसे करें?
भिखारी की संख्या में वृद्धि
देश भर में भिखारी की संख्या में वृद्धि के कई कारण है। जिनमे गरीबी ,बेरोजगारी ,शिक्षा की कमी ,सामाजिक असमान्यता और प्राकृतिक आपदा के कारण विस्थापन शामिल हैं। इसके अतिरिक्त कुछ लोग भीख मांगने को एक व्यवसाय के रूप में अपनाते हैं। और संगठित गिरोह भी इसमें शामिल हो सकते हैं।
विस्तृत व्याख्या
गरीबी और बेरोजगारी:–
भारत में गरीबी और बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है। और कई लोग अपनी बुनियादी जरूरत को पूरा करने के लिए संघर्ष करते हैं। कुछ लोगों के लिए भीख मांगना जीवित रहने का एकमात्र साधन बन जाता है।
शिक्षा की कमी:–
शिक्षा की कमी के कारण कई लोग नौकरी पाने में असमर्थ होते हैं। जिससे वह भीख मांगने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
सामाजिक असमानता:–
सामाजिक असमानता भी एक महत्वपूर्ण कारक है। क्योंकि कुछ लोगों के पास दूसरों की तुलना में बहुत कम अवसर होते हैं।
प्राकृतिक आपदाएं:–
प्राकृतिक आपदाएं जैसे की बाढ़ और सुखा लोगों को अपने घरों से विस्थापित कर सकते हैं। जिससे वह भीख मांगने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
संगठित गिरोह:–
कुछ संगठित गिरोह भीख मांगने के व्यवसाय में शामिल हैं। और बच्चों और अन्य कमजोर लोगों को अपहरण करके उनके भीख मांगने के लिए मजबूर करते हैं।
आसान विकल्प:–
कुछ लोगों के लिए भीख मांगना एक आसान विकल्प है। क्योंकि उन्हें काम करने की आवश्यकता नहीं होती है। और वह आसानी से दान प्राप्त कर सकते हैं।
शहरीकरण:–
शहरीकरण के कारण ग्रामीण क्षेत्र से शहरों में पलायन बढ़ रहा है। जिससे शहरों में भिखारी की संख्या में वृद्धि हो रही है।
निष्कर्ष:–
भिखारी की संख्या में वृद्धि एक जटिल समस्या है। जिसके कई कारण है। गरीबी ,बेरोजगारी, शिक्षा की कमी, सामाजिक असमानता और संगठित गिरोह सभी इसमें योगदान करते हैं सरकार और समाज को इस समस्या से निपटने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
भिखारी माफिया कौन है क्या काम है इनका?
भिखारी माफिया एक ऐसा शब्द है जो उन संगठित समूह को दर्शाता है। जो भीख मांगने के व्यवसाय को नियंत्रित करते हैं। यह समूह अक्सर अपराधिक होते हैं। भीख मांगने वालों को काम पर रखते हैं। उनका शोषण करते हैं, और उनके द्वारा कमाए गए धन का एक बड़ा हिस्सा हड़प लेते हैं। वह अक्सर जबरन वसूली अपहरण और अन्य अपराधों में भी शामिल होते हैं।
2022 में सामने आया एक मामला
अब ऐसा ही एक मामला सामने आया साल 2022 में जहां एक दिहाड़ी मजदूर सुरेश मांजी काम की तलाश में बिहार से कानपुर जाता है। वह कानपुर के यशोदा नगर झुग्गी बस्ती में रहता था।
एक दिन उसकी मुलाकात विजय नाम के एक व्यक्ति से हुई।
उन्होंने उसके लिए कुछ काम ढूंढने का वादा किया। इसके लिए उसने उसे कानपुर के झकरकटी पुल के नीचे मिलने को कहा।
अगले दिन जब सुरेश वहां पहुंचा तो पीछे से कोई आया उसके सिर पर काला कपड़ा डाल दिया और उसका अपहरण कर लिया। इसके बाद सुरेश को नशीला पदार्थ सुंघाकर बेहोश कर दिया गया। और उसे अंधा बनाने के लिए उसकी आंखों में एक रसायन डाला गया। जिससे उसकी आंखों की रोशनी खत्म हो गई । उसके साथ सुरेश की उंगलियां भी काट दी जाती है। और शरीर पर गहरे निशान छोड़ दिए जाते हैं।
“ऐसा सुरेश को भीख मांगने के लिए उपयुक्त बनाने के लिए किया गया था”
कुछ दिन बाद सुरेश को इस गिरोह ने एक महिला को 70,000 रुपए में बेच दिया जाता है। बाद में उसे एक राज नाम का व्यक्ति उसे गोरखधाम एक्सप्रेस से दिल्ली ले आया। दिल्ली में उन्हें भीख मांगने के लिए एक स्थान पर छोड़ दिया गया।
यह लोग सुरेश को और अन्य भिखारी को दिन में केवल दो रोटी देते थे। ताकि यह दुबले पतले रहे, और लोगों को इन्हें देखकर दया आए और इन्हे भीख मिले।
और रोज इन्हें कोई ना कोई इंजेक्शन दिया जाता था। समय के साथ-साथ सुरेश की हालत इतनी बिगड़ गई कि, वह भीख मांगने के काबिल ना रहा। अब जिस गैंग ने उसे खरीदा था वह उसे विजय के साथ कानपुर दोबारा भेज देते हैं। और वहां पर भी उससे दिन से रात तक एक चौराहे पर भीख मंगवाते और रात को सारा पैसा भी ले लेते थे। सुरेश की हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई तो उसे एक रास्ते पर अकेले छोड़ देते हैं lसुरेश जैसे कैसे करके अपने घर जाता है। अब उसके घर वाले उसे पहचान तक नहीं पाते थे उसकी हालत इतनी खराब हो गई थी।
यह है सुरेश की तस्वीर
यह सुरेश का मामला कोई अकेला मामला नहीं है यह न जाने कितने लोगों के साथ होता है बच्चों लोगों का अपहरण करके उनके हाथ पैर काट के उन्हें भीख मंगवाते हैं। और इन्हें ही “भिखारी माफिया” कहते हैं।
भिखारी की मदद कैसे करें?
भिखारी की सही और प्रभावी मदद करना एक संवेदनशील लेकिन जरूरी कार्य है। अगर हम सीधे पैसे देने की बजाय सोच समझ कर और स्थायी रूप से मदद करें, तो उनका जीवन वास्तव में बदल सकता है।
भिखारी की मदद के कुछ तरीके।
1.पैसे के बजाय भोजन या जरूरत की चीजें दें।
- भीख में पैसे देने से वह माफिया के हाथ लग सकता है। या नशे में खर्च हो सकता है।
- बेहतर है की आप पानी ,खाना ,बिस्कुट ,फल, पुराने कपड़े ,चप्पल या कंबल दें।
उदाहरण = रास्ते या ट्रैफिक पर मिलने वाले भिखारियों को 10 रुपए देने के बजाय एक केले का गुच्छा या पानी की बोतल देना अधिक मददगार होगा।
2.स्थानीय NGO या रोल्टर होम से संपर्क करें।
- कई शहरों में ऐसे संगठन है। जो भिखारीयों को पुनर्वास स्वस्थ सेवा रोजगार प्रशिक्षण प्रदान करते हैं।
- आप किसी भिखारी को ऐसे केंद्रों तक पहुंचाने मे मदद कर सकते हैं। या स्वयं उस संस्था को आर्थिक सहायता दे सकते हैं।
3. रोजगार या कौशल प्रशिक्षण की व्यवस्था करें।
- अगर आप किसी गरीब या भिखारी से नियमित मिलते हैं,तो आप उन्हें चाय, पानी बेचने का ठेला लगवाने में मदद कर सकते हैं।
- कपड़े धोने साफ सफाई का काम दिलवाने में मदद कर सकते हैं।
- NGO की ट्रेनिंग में जुड़वाने में मदद कर सकते हैं।
निष्कर्ष
माफियाओं का बढ़ता कहर इस कदर देश भर में फैल गया है। कि वो अलग-अलग तरीके का इस्तेमाल करके अपना व्यवसाय चला रहे हैं। जैसा कि “भिखारी माफिया” इन भिखारी माफियाओं के खौफ से अब जनता भिखारी को दान देने में भी भय लग रहा है। कि यह पैसा माफिया के हाथ न लग जाए।
इसमें जरूरी यह है, कि इंसान को भिखारी को पहचान कर उन्हें पैसा देना आवश्यक होगा। इनमें से कौन भिखारी माफिया के लिए काम कर रहा है। और कौन भिखारी जरूरतमंद है।
ऐसे में जो जरूरतमंद बिखरी है। उनका भी जीना मुश्किल हो रहा है।
ऐसे में जरूरी तो या है, कि सरकार को इन माफियाओं के ऊपर नजर डालनी पड़ेगी उनके ऊपर कार्रवाई करनी पड़ेगी। अन्यथा: यह अपराध बहुत बड़ा भी बन सकता है। इसमें आम जनता कुछ नहीं कर सकती है।