मई में धान की तरह करें गन्ने की रोपाई… एक्सपर्ट से जानें पिछेती खेती का कारगर तरीका

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मई में धान की तरह करें गन्ने की रोपाई… एक्सपर्ट से जानें पिछेती खेती का कारगर तरीका


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Sugarcane Farming Tips : मई में गेहूं की कटाई के बाद गन्ने की बुवाई की बजाय सिंगल बड़ विधि से नर्सरी की रोपाई कर सकते हैं. गौरतलब है कि वैज्ञानिकों के अनुसार, 15 अप्रैल के बाद गन्ने की सीधी बुवाई से नुकसान हो …और पढ़ें

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गन्ने की बुवाई 

हाइलाइट्स

  • मई में गन्ने की बुवाई की बजाय रोपाई करें.
  • सिंगल बड़ विधि से नर्सरी तैयार करें.
  • वैज्ञानिक विधि से गन्ने की रोपाई से पूरा उत्पादन मिलेगा.

शाहजहांपुर : गन्ने की फसल की बुवाई साल में 2 बार की जाती है. किसान शरदकालीन गन्ने की बुवाई अक्टूबर महीने में करते हैं तो वहीं बसंतकालीन गन्ने की बुवाई फरवरी महीने से शुरू हो जाती है. वैज्ञानिकों का कहना है कि बसंतकालीन गन्ने की बुवाई 15 अप्रैल के बाद नहीं करनी चाहिए. देरी से गन्ने की बुवाई करने से किसानों को लागत लगाने के बावजूद भी मुनाफा कम मिलेगा. जिससे किसानों को नुकसान हो सकता है.

उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिक डॉ. श्री प्रकाश यादव ने बताया कि बसंतकालीन गन्ने की बुवाई फरवरी से लेकर 15 अप्रैल तक की जाती है. उसके बाद बुवाई करने से किसानों को नुकसान हो सकता है. लेकिन अगर गेहूं की कटाई के बाद किसानों के खेत खाली हैं तो गन्ने की बुवाई करना चाहते हैं तो वैज्ञानिक विधि से गन्ने की बुवाई करें. किसान पहले से तैयार की गई सिंगल बड़ की नर्सरी की रोपाई खेत में कर सकते हैं. इस विधि से गन्ने की बुवाई करने पर किसानों को पूरा उत्पादन मिल जाएगा.

इस विधि से करें गन्ने की रोपाई
जो किसान मई गन्ने की बुवाई करना चाहते हैं. वह ध्यान रखें सीधे एक आंख या दो आंख के टुकड़ों को ना बोएं. ऐसे में किसान एक महीना पहले सिंगल बड़ विधि से नर्सरी तैयार कर लें. उसके बाद खेत को डिस्क हैरो से जोतकर भुर-भुरा कर लें. फिर कैल्टीवेटर करने के बाद, रोटावेटर से जुताई करें. खेत को समतल कर कूड़ तैयार कर लें. कूड में पानी भरकर तैयार की गई सिंगल बड़ से तैयार की नर्सरी को लगा दें. यानी कि अगर आपके पास सिंगल बड़ की पौध तैयार हो तभी गेहूं के बाद गन्ना बोएं अन्यथा की स्थिति में खेत में गन्ने की फसल ना करें.

इन बातों का रखें ध्यान
मई में किसान बुवाई करते वक्त लाइन से लाइन की दूरी को कम कर दिया करते थे. बुवाई के वक्त बीज की मात्रा को बढ़ा देते थे. जिसके चलते खेत में कल्लों की संख्या पर्याप्त हो जाती थी. लेकिन मई के महीने में की हुई गन्ने की बुवाई में किसानों का खर्च ज्यादा आता था. ऐसे में किसानों की आमदनी प्रभावित होती थी. इसलिए अब किसान मई के महीने में बुवाई करने से बचते हैं. वैज्ञानिक भी किसानों को सलाह देते हैं कि वह मई के महीने में गन्ने की बुवाई कदापि न करें.

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