मथुरा में यहां स्थापित हैं पाताल देवी, 51 शक्ति पीठ में से है एक

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मथुरा में यहां स्थापित हैं पाताल देवी, 51 शक्ति पीठ में से है एक


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mathura news today in hindi: पाताल भैरवी मंदिर की सेवायत पुजारी शिवांगी चतुर्वेदी ने मंदिर की मान्यता के बारे में लोकल18 से बातचीत करते हुए बताया कि मंदिर त्रेता युग का है.

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मथुरा के भूतेश्वर महादेव को शहर कोतवाल के नाम से जाना जाता है. 

मथुरा: योगीराज श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में एक ऐसा मंदिर है जहां माता पाताल भैरवी का हर दिन अलग-अलग श्रृंगार किया जाता है. माता का यह मंदिर त्रेता युग का बना हुआ है. मान्यता के अनुसार पाताल भैरवी का श्रृंगार कभी गोपी के रूप में किया जाता है, तो कभी लक्ष्मी जी के रूप में किया जाता है.

विधि विधान से पूजा करने वालों की होती है इच्छापूर्ति
श्री कृष्ण की पावन धरा कहीं जाने वाली मथुरा नगरी में आपको कृष्ण के साथ-साथ यहां अलौकिक और दिव्य शक्तियों के दर्शन होंगे. मथुरा का कोना-कोना यहां पर दिव्य आस्थाओं से भरा हुआ है. यही कारण है कि यहां पर हर दिन हजारों श्रद्धालु अपने आराधी के दर्शन करने के लिए आते हैं. शारदीय नवरात्रों में मां पाताल भैरवी के मंदिर में लोगों का ताँता दर्शन के लिए लगा रहता है.

पाताल भैरवी मंदिर की सेवायत पुजारी शिवांगी चतुर्वेदी ने मंदिर की मान्यता के बारे में लोकल18 से बातचीत करते हुए बताया कि मंदिर त्रेता युग का है. यहां पर हर दिन हजारों श्रद्धालु मां पाताल भैरवी के दर्शन करने के लिए आते हैं. मां सब की मनोकामना को पूर्ण करते हैं इतना ही जो भी भक्त मां से जो मांगता है, वह उनकी मांग पूरी होती है. उन्हें मनवांछित फल प्राप्त होता है. शारदीय नवरात्रों में माता की और भी लीला बढ़ जाती है. यहां भक्तों के द्वारा विधि विधान से सेवा पूजा की जाती है. भक्त माता की आराधना में लीन होकर उन्हें मनाने में जुटे हुए रहते हैं. मां पाताल भैरवी सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. इतना ही नहीं यहां उनके दर पर जो भी भक्त आता है वह यहां से निराश होकर नहीं लौटता है.

नवरात्रों में होता है माता का अलग-अलग श्रृंगार
लोकल18 से बातचीत में शिवांगी चतुर्वेदी ने यह भी बताया कि मां का 9 दिन अलग-अलग श्रृंगार होता है और यहां माता अपने मन में श्रृंगार करती हैं. हम मन में सोच के आते हैं, की माता का हम अपने हिसाब से श्रृंगार करेंगे, लेकिन मां का मन नहीं होता है, तो वह श्रृंगार नहीं होने देती है. जब उन्हें गोपी का रूप धारण करना होता है, तो वह स्वम श्रृंगार गोपी के रूप में परिवर्तित कर देती है. उन्हें लक्ष्मी जी का श्रंगार करना होता है, तो वह लक्ष्मी रूप में दर्शन देती हैं. इतना ही नहीं यहां 9 दिन माता का अलग-अलग श्रृंगार होता है.

त्रेता युग का बताया गया है मंदिर
मंदिर की एक अपनी अलग ही मान्यता है. इस मंदिर में जो भी भक्ति विधि विधान से पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं. मंदिर की पुजारन ने बताया कि यह मंदिर त्रेता युग का है. यहां पर हमारे पूर्वजों को मां कात्यानी ने स्वप्न दिया था. पूर्वजों को स्वप्न में यह मां कात्यानी ने कहा था कि भूतेश्वर महादेव मंदिर के प्रांगण में खुदाई सीढीयां के रूप में करो जैसे-जैसे सीढीयां बनती जाएगी. वैसे-वैसे में स्वत अपना अवतार ले लूंगी.

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