मां के इस मंदिर में भक्त ने काट दिया अपना सिर, फिर हो गया जिंदा, चमत्कार देख मुगल बादशाह अकबर भी रह गया दंग

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मां के इस मंदिर में भक्त ने काट दिया अपना सिर, फिर हो गया जिंदा, चमत्कार देख मुगल बादशाह अकबर भी रह गया दंग


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Saharanpur Bala Sundari Temple: देवों की नगरी देवबंद में मां बाला सुंदरी मंदिर है. मान्यता है कि यहां मां को प्रसन्न करने के लिए उनके एक भक्त ने अपना शीश काट कर उनके चरणों में अर्पण कर दिया था. ध्यानु भगत ने मा…और पढ़ें

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अकबर ने ली थी ध्यानु भगत की परीक्षा, भगत ने मां के चरणों में चढ़ा दिया था शीश

हाइलाइट्स

  • ध्यानु भगत ने मां बाला सुंदरी को प्रसन्न करने के लिए अपना शीश अर्पित किया.
  • मां बाला सुंदरी ने ध्यानु भगत को पुनर्जीवित किया और वरदान दिया.
  • बादशाह अकबर ने मां की शक्तियों को मानकर सोने का छत्र चढ़ाया.

अंकुर सैनी/सहारनपुर: देवों की नगरी देवबंद में मां बाला सुंदरी मंदिर है. मान्यता है कि यहां मां को प्रसन्न करने के लिए उनके एक भक्त ने अपना शीश काट कर उनके चरणों में अर्पण कर दिया था. मान्यता है कि इसके बाद माता ने भक्त से प्रसन्न होकर उसके शीश को दोबारा से लगाकर उसकी उपाधि को बढ़ाया था. ध्यानु भगत का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था. उनके जन्म लेते ध्यानु भगत के माता पिता स्वर्ग लोग सिधार गए. इस बात पर सारे गांव वाले ध्यानु भगत को मनहूस कहने लगे. कोई भी ध्यानु के साथ नहीं खेलता था. माता-पिता का देहांत हो जाने के कारण ध्यानु भगत का पालन पोषण एक पंडित जी  ने किया. वह पंडित जी  ज्वाला माता का अनंत उपासक थे. उनकी अनन्य भक्ति का ही परिणाम था कि जो ज्वाला मां की कृपा ध्यानु भगत पर इतनी थी. जब ध्यानु ने पंडित जी  से अपनी मां के विषय में पूछा, तो  पंडित जी  ने कहा बालक तेरी मां तो साक्षात ज्वाला मां है.

ध्यानु भगत पर मां की महिमा सुनकर सैनिकों ने सब कुछ बादशाह अकबर को बता दिया. यह सुनकर अकबर क्रोधित हो उठा. वह सोचने लगा कि मैं ही सर्वश्रेष्ठ हूं और उसने अपने घोड़ों के शीश काटकर ध्यानु भगत से कहा कि अगर तुम्हारी मां में शक्ति है तो उनके कटे हुए शीश दोबारा से लगाकर दिखाओ. तब मां को प्रसन्न करने के लिए ध्यानु भगत ने अपना शीश काटकर मां के चरणों में चढ़ाया. इसके बाद बादशाह अकबर ने मां की शक्ति का लोहा माना और उनको सोने का छत्र चढ़ाया, जो कि मां ने कबूल तक नहीं किया और वह सोने का छत्र धातु की वस्तु में परिवर्तित हो गया. आज मां के दर्शन करने के लिए लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं.

 देवबंद में मां त्रिपुरा बाला सुंदरी के रूप में है विराजमान

देवबंद निवासी बलबीर सैनी ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि देवबंद में मां बाला सुंदरी का भव्य मंदिर मौजूद है. इस मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु मां के दर्शन करने आते हैं, लेकिन मां के भक्तों में शुमार एक ऐसे भक्त का भी नाम आता है जिसने मां को प्रसन्न करने के लिए अपना शीश काटकर मां के चरणों में अर्पित कर दिया था. उस भगत का नाम था ध्यानु भगत कहा यह जाता है कि वह माता के बहुत बड़े भक्त थे, लेकिन मां ने कभी उनको दर्शन नहीं दिए. उनको लगा मां उनसे नाराज है. इसलिए उन्होंने मां को प्रसन्न करने के लिए अपना शीश काट कर मां के चरणों में अर्पण कर दिया था. मां ने प्रश्न होकर ध्यानु भगत को दोबारा से जीवित किया था. साथ ही वरदान देकर कहा था मेरे दर्शन के साथ-साथ तुम्हारे दर्शन जो करेगा उसी की यात्रा संपूर्ण होगी. इसीलिए यहां बाला सुंदरी मंदिर पर जो कोई भी श्रद्धालु दर्शन करने आता है, तो ध्यानु भगत पर भी प्रसाद जरूर चढ़ाता है. इसके बाद उनकी यात्रा पूर्ण होती है.

राजा अकबर ने माना था माता की शक्तियों का लोहा

बलबीर सैनी बताते हैं कि प्राचीन काल में बादशाह अकबर शासन काल के समय की बात है. जब बादशाह अकबर ने ध्यानु भगत की परीक्षा लेने के लिए अपने घोड़ों के शीश काट दिए और कहा अगर तुम माता के सच्चे भक्त हो तो मेरे इन घोड़ों को जीवित करके दिखाओ. इसके बाद ध्यानु भगत मां के मंदिर में गए और उन घोड़ों को जीवित करने के लिए मां बाला सुंदरी से प्रार्थना करने लगे. लेकिन जब वह घोड़े जीवित नहीं हुए तब ध्यानु भगत ने अपना खुद सर काटकर मां के चरणों में चढ़ा दिया था. इसके बाद माता प्रश्न हुई और मां बाला सुंदरी ने उन घोड़ों को जीवित किया. उसके बाद अकबर ने मां की शक्तियों का लोहा माना और नंगे पांव चलकर मां बाला सुंदरी को सोने का छत्र चढ़ाया था. वहीं अगर आस्था की बात की जाए तो माता बाला सुंदरी के नाम के साथ ही ध्यानु भगत का नाम जोड़ा जाता है.

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मां के इस मंदिर में भक्त ने काट दिया अपना सिर, फिर हो गया जिंदा



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