यहां है विश्व का एकमात्र होनी माता का मंदिर, देवरिया में इस चीज का सबसे बड़ा गढ़

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यहां है विश्व का एकमात्र होनी माता का मंदिर, देवरिया में इस चीज का सबसे बड़ा गढ़


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Honi mata temple : ये जगह दिव्य चमत्कारिक स्थल है, जहां दुनिया का इकलौता होनी माता का मंदिर है. ये अध्यात्म की भूमि सदियों से संतों, योगियों और महात्माओं की तपोभूमि रही है.

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देवरिया में है दुनिया का एकमात्र होनी माता मंदिर।।

देवरिया. यूपी के देवरिया को योग और अध्यात्म की भूमि कहा जाता है. ये सदियों से संतों, योगियों और महात्माओं की तपोभूमि रही है. इस क्षेत्र का गहरा आध्यात्मिक इतिहास है, जहां गोरखनाथ से लेकर बाबा राघवदास तक अनेक संतों ने अपनी साधना से इसे पावन किया. इसी कड़ी में देवरिया के कतरारी गांव में स्थित मासविता योगाश्रम भी एक खास स्थान रखता है. ये आश्रम केवल योग और ध्यान का केंद्र ही नहीं, बल्कि एक दिव्य चमत्कारिक स्थल भी है, जहां दुनिया का इकलौता होनी माता का मंदिर स्थित है.

एक रहस्यमयी शक्ति
होनी माता का मंदिर अपने आप में अनोखा और दुर्लभ है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महंत स्वामी अच्युतानंद सरस्वती को 1995 में माता के दिव्य दर्शन हुए थे. माता ने उन्हें भविष्य से जुड़ी कुछ बातें बताईं और आश्चर्यजनक रूप से वे सभी बातें सत्य साबित हुईं. इसके बाद स्वामी ने माता के निर्देशानुसार मंदिर की स्थापना की. इस मंदिर की विशेषता केवल माता की उपस्थिति तक सीमित नहीं है, बल्कि यहां स्थित शिवलिंग और प्रभु हनुमान की मूर्ति भी भक्तों को अद्भुत ऊर्जा और आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है.

अखंड ज्योति और यज्ञ की परंपरा          

इस मंदिर की एक और विशेषता है यहां 2016 से अखंड ज्योति का जलना, जो भक्तों की आस्था और विश्वास का प्रतीक है. ऐसा माना जाता है कि ये ज्योति मंदिर की दिव्य ऊर्जा को और अधिक शक्तिशाली बनाती है. इसके अलावा, हर रविवार को यहां विशेष यज्ञ का आयोजन होता है, जिसमें दूर-दूर से भक्तगण और साधक भाग लेने आते हैं. इस यज्ञ के माध्यम से न केवल वातावरण को शुद्ध किया जाता है, बल्कि लोगों की मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं.

आध्यात्मिक योगदान 

देवरिया हमेशा से ही योग और अध्यात्म का केंद्र रहा है. यहां के संतों और योगियों ने भारत की आध्यात्मिक धरा को समृद्ध किया है. गोरखनाथ की परंपरा हो या बाबा राघवदास की समाजसेवा, इस क्षेत्र में अध्यात्म और साधना की गहरी जड़ें हैं. मासविता योगाश्रम और होनी माता का मंदिर भी खास स्थान रखता है, जहां साधकों को ध्यान, योग और भक्ति का अनोखा संगम मिलता है. ये स्थान न केवल एक धार्मिक केंद्र है, बल्कि भारतीय संस्कृति में आध्यात्मिक शक्ति और योग के महत्त्व को भी बताता है.

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