रामायण और 1857 की क्रांति की गवाही देते हैं मेरठ के यह स्थल, तस्वीरों में देखें इतिहास

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Eight major places of Meerut: गर्मी के सीजन में अगर आप भी घूमने का प्लान बना रहे हैं. ऐसे स्थान की तलाश में जहां ग्रुप घूमकर आप आनंदित हो जाए. ऐतिहासिक पहलुओं से भी रूबरू हो सके. तो उनके लिए मेरठ काफी अच्छा स्थान साबित हो सकता है. जहां महाभारत कालीन विभिन्न प्रकार के रहस्य आज भी लोगों के बीच चर्चा केंद्र बने हुए हैं
मेरठ शहर की अगर बात की जाए तो मेरठ शहर में विभिन्न ऐसे स्थान बने हुए हैं. जहां घूम कर आप विभिन्न ऐतिहासिक पहलुओं से रूबरू हो सकते हैं. इसी कड़ी में अगर आप ऐतिहासिक इतिहास को जानना चाहते हैं. तो दिल्ली रोड़ स्थित राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय बेहद खास साबित हो सकता है. जहां आजादी के उद्गम को लेकर विभिन्न घटनाएं डिजिटल हाईटेक एवं गैलरी के माध्यम से देख सकते हैं. यहां आपको अशोक स्तंभ एवं अमर जवान ज्योति भी प्रज्वलित दिखाई देगी. इतना ही नहीं जल्द लेजर शो सहित अन्य कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे.उसको लेकर तेजी से कार्य किया जा रहा है. ऐसे में घूमने के लिए खास है.

मेरठ कैंट स्थित औघड़नाथ मंदिर भी आस्था का एक प्रमुख केंद्र है. लेकिन इसका क्रांति से भी प्रमुख नाता है. इतिहासकार प्रो. नवीन गुप्ता बताते हैं प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का आगाज भी मेरठ के इसी औघड़नाथ मंदिर से हुआ था. साथ यहां पर भगवान भोलेनाथ की जो शिवलिंग है. वह भी स्वयं शंभू है. प्रत्येक सोमवार के साथ-साथ महाशिवरात्रि पर बड़ी संख्या में श्रद्धालू विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित विभिन्न राजनेता भी यहां भोले बाबा से आशीर्वाद प्राप्त कर चुके हैं.

मेरठ शहर की बात की जाए तो एमडीए ऑफिस के पास ही चौपला गैलरी देखने को मिलेगी. जो उस समय के एमडीए वीसी आईईएस अभिषेक पांडे द्वारा बनवाई गई थी. इसमें मेरठ उद्योग से लेकर क्रांति एवं विभिन्न धार्मिक स्थलों को जहां पेंटिंग के माध्यम से दिखाया गया है. वहीं विभिन्न प्रकार की डेमो लगाए गए हैं. ऐसे में आप भी इस गैलरी का विजिट कर सकते हैं. फोटो कैप्चर के साथ-साथ जब आप यहां घूमेंगे. तो आपको प्रकृति का आनंद देखने को मिलेगा. क्योंकि इसे काफी पुराने स्टाइल में बनाया गया है.

मेरठ कैंट में ही बिलेश्वर नाथ मंदिर के प्रति भी भक्तों की विशेष आस्था देखने को मिलती है. मराठा राजाओं ने इसका जीणोद्धार कराया था. यह मंदिर रामायण कालीन बताया जाता है. किद्वंवती है रावण की पत्नी मंदोदरी का मेरठ में मायका है. ऐसे में उसके द्वारा ही इस मंदिर की स्थापना की गई थी. कहां यह भी जाता है कि रावण की पत्नी ने विधि विधान के साथ भोले बाबा की पूजा अर्चना की थी. जिसके फल स्वरूप उन्हें रावण जैसा विद्वान पति मिला था. आज भी इस मंदिर के प्रति भक्तों की काफी आस्था देखने को मिलती है. देश भर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. मराठा शैली का यह मंदिर अपने आप में विशेष पहचान रखता है.

मेरठ से ही 40 किलोमीटर दूर ऐतिहासिक सरधना के चर्च भी अपनी खूबसूरती को लेकर विश्व में एक विशेष पहचान रखती है. 200 से अधिक साल पुरानी यह चर्च बेहद खूबसूरत है. यहां से इसाई धर्म से संबंधित विभिन्न स्टैचू देखने को मिलेंगी. वहीं दूसरी ओर फूलों की पिचकारी और संगमरमर का यहां अद्भुत संगम देखने को मिलता है. हर साल क्रिसमस के अवसर पर लोग घूमने के लिए आते हैं. इसका निर्माण बेगम फरजाना उर्फ समरू द्वारा 1809 में शुरू कराया गया था. वर्ष 1822 में बनकर गया तैयार हो गई थी. उस दोर के मिस्त्री ने सबसे महंगा इसका 25 पैसे रोज महंताना लिया था.

मेरठ में ही ऐतिहासिक नौचंदी मेला होली के बाद दूसरे सप्ताह से लगना शुरू हो जाता है. जो वर्तमान समय में भी चल रहा है. जो की मां चंडी देवी के नाम से लगता है. मंदिर परिसर में ही मां चंडी देवी का मंदिर मौजूद है. जिसके बारे में भी यही कहा जाता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी द्वारा ही इस मंदिर की स्थापना की गई थी. यहां देशभर से श्रद्धालु मां चंडी देवी के दर्शन करने के लिए आते हैं. मंदिर के महंत संजय कुमार शर्मा बताते हैं मां चंडी की देवी के नाम से ही नौचंदी मेले के साथ-साथ नौचंदी ट्रेन का संचालन किया जाता है. उन्होंने बताया कि यहां 40 दिन दीपक जलाने से सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है.

मेरठ से 45 किलोमीटर दूर हस्तिनापुर महाभारत कालीन क्षेत्र के तौर पर जाना जाता है. यहां आज भी विभिन्न प्रकार के ऐसे ऐतिहासिक मंदिर देखने को मिलेंगे. जो कहीं ना कहीं महाभारत कालीन यादों को ताजा किए है. इनमें महाराज कर्ण मंदिर, पांडेश्वर मंदिर, द्रोपदेश्वर मंदिर, द्रोपदी मंदिर सहित अन्य मंदिर शामिल है. यहां बूढ़ी गंगा भी आपको प्रवाह होते हुए दिखाई देगी. जिसका उल्लेख भी महाभारत काल से ही जुड़ा हुआ है. यहां भक्तों में काफी आस्था देखने को मिलती है.

बताते चलें कि हस्तिनापुर में ही जैन समाज द्वारा यहां जम्मूद्वीप विकसित किया गया है. जहां जैन समाज से संबंधित विभिन्न प्रकार के मंदिर बने हुए हैं. उनकी बनावट बेहद खास है. साथ ही बच्चों के घूमने के लिए भी विभिन्न प्रकार की नाव, झूले, सुमेरु पर्वत सहित अन्य चीज देखने को मिलेंगी. जहां परिवार के साथ इंजॉय कर सकते हैं. साथ यहां खाने पीने से संबंधित विभिन्न प्रकार की स्टॉल भी उपलब्ध है.