वटवृक्षों में बसा ये मंदिर इतना शक्तिशाली, छू भी नहीं पाया कोई आक्रांता, इसकी जड़ें चारों युगों में फैलीं

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वटवृक्षों में बसा ये मंदिर इतना शक्तिशाली, छू भी नहीं पाया कोई आक्रांता, इसकी जड़ें चारों युगों में फैलीं


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Rampur Dharohar : इस मंदिर में सिर्फ पूजा-पाठ ही नहीं होता बल्कि यहां गुरु-शिष्य परंपरा को फिर से जिंदा किया जा रहा है. यहां एक मिनट भी ठहरना आध्यात्मिकता में डूबो देगा. जो भी आता है, कुछ न कुछ लेकर ही लौटता है…और पढ़ें

रामपुर. यूपी मंदिरों का प्रदेश है. यहां के कई मंदिर हैरान करते हैं. रामपुर की तहसील शाहाबाद के नगर पंचायत सेफनी का ये मंदिर भी ऐसा ही है. इसकी पहचान सिर्फ एक धार्मिक स्थल के रूप में नहीं बल्कि ऐतिहासिक धरोहर के रूप में भी है. श्री माता वेला भवानी नाम के इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि ये महाभारत काल का है. इसकी जड़ें चारों युगों सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग में फैली हुई हैं. रामपुर के आचार्य पंडित विवेक वशिष्ठ बताते हैं कि ये क्षेत्र पहले विलोवन नाम से जाना जाता था. पांडवों और कौरवों के समय में भी ये जगह खासा प्रसिद्ध थी. द्वापर युग में जब महाभारत का समय था, तब महाराजा सोमनाथ दत्त के पुत्र भूरिश्रवा की श्री माता वेला भवानी इस स्थान पर विराजमान हुईं.

कई जादुई कहानियां

माना जाता है कि जब मुगल और दूसरे आक्रांता इस क्षेत्र में आए तो उन्होंने कई जगहों पर कब्जा किया, लेकिन माता वेला भवानी की शक्ति के आगे वो भी विफल हो गए. यहां माता की शक्ति और चमत्कारों की अनेक कहानियां प्रचलित हैं. आचार्य बताते हैं कि जो भी सच्चे मन से मन्नत मांगता है, यहां उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है. इस मंदिर में सिर्फ पूजा-पाठ ही नहीं होता बल्कि यहां धर्म की शिक्षा भी दी जाती है. मंदिर परिसर में आवासीय गुरुकुल शुरू चलता है, जहां बच्चों को शास्त्रों की पढ़ाई कराई जाती है. यहां किसी भी धर्म और जाति का बच्चा आकर रह सकता है और मुफ्त में शिक्षा ले सकता है. यहां गुरु-शिष्य परंपरा को फिर से जिंदा किया जा रहा है.

हर झोली भर जाए

इस मंदिर परिसर में 700 साल से भी अधिक पुराने वट वृक्ष आज भी खड़े हैं. यह कोई किवदंती नहीं बल्कि सरकारी सर्वे में भी यह बात सामने आ चुकी है कि यहां मौजूद वट वृक्षों की उम्र 700 वर्ष से ज्यादा है. इन पेड़ों की छांव में बैठना भक्तों के लिए किसी आध्यात्मिक अनुभव से कम नहीं है. यहां सिर्फ रामपुर से ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों से भी लोग दर्शन करने पहुंचते हैं. नवरात्र और दूसरे पर्वों के दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. श्री माता वेला भवानी मंदिर में जो भी आता है, कुछ न कुछ लेकर ही लौटता है.

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ये मंदिर इतना शक्तिशाली, छू नहीं पाए आक्रांता, जड़ें चारों युगों में फैलीं



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