विधवा औरत से हार गए ‘बाहुबली’, लगा सब कुछ खत्म हो गया, लेकिन क्लाइमेक्स अभी बाकी था

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Jhansi News : साल 2021 में पति की मौत के बाद सुनीता को गरीबी ने गांव छोड़ने पर मजबूर कर दिया. बच्चों को लेकर कमाने-खाने महाराष्ट्र चली गई, लेकिन जब लौटी तो दंग रह गई.
प्रतिकात्मक फोटो.
Human Story. यूपी के झांसी में जो हुआ, कम ही होता है. यहां के बंगरा ब्लॉक में न्याय की एक मिसाल सामने आई है. एक ऐसी महिला जिसकी दुनिया उजड़ चुकी थी, लेकिन उसके चेहरे पर फिर से मुस्कान लौट आई है. साल 2021 में सुनीता को उसके पति हल्काई की मौत के बाद मजबूरी और गरीबी के कारण गांव छोड़ने को मजबूर कर दिया. वो अपने बच्चों के साथ मजदूरी के लिए महाराष्ट्र चली गई. पीछे छोड़ आई एक आशा…एक छत…जो प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बना था.
भतीजों ने ही भगाया
लेकिन उस छत पर उसके अपनों ने ही कब्जा कर लिया. भतीजे नंदकिशोर और सतन कुशवाहा ने न सिर्फ ताला तोड़ा. बल्कि जाली दस्तावेजों से घर और जमीन भी अपने नाम करवा ली. जब सुनीता अपने गांव लौटी तो उसे अपने ही घर में घुसने नहीं दिया गया. धमकाया गया और घर से निकाल दिया गया.
फिर लिया गया बड़ा फैसला
लेकिन यह अन्याय ज़्यादा दिन टिक न सका. मऊरानीपुर की तहसीलदार कामनी भट्ट ने जब मामला सुना तो बिना देर किए गांव पहुंचीं. ग्रामीणों से पूछताछ की और फिर लिया गया बड़ा फैसला. तुरंत मौके पर ताला तोड़ा गया और महिला को उसका घर वापस दिलाया गया. प्रशासन की सख्ती और संवेदना- दोनों का अद्भुत उदाहरण आज सुनीता के आंसू खुशी के हैं. वो घर जो छिन गया था,आज फिर उसके नाम है. और यही है सच्चे न्याय की तस्वीर. गांव के लोग भी खुले दिल से बोले –‘हकदार को हक दिलाया, तहसीलदार ने इंसाफ दिखाया।’
लेकिन यह अन्याय ज़्यादा दिन टिक न सका. मऊरानीपुर की तहसीलदार कामनी भट्ट ने जब मामला सुना तो बिना देर किए गांव पहुंचीं. ग्रामीणों से पूछताछ की और फिर लिया गया बड़ा फैसला. तुरंत मौके पर ताला तोड़ा गया और महिला को उसका घर वापस दिलाया गया. प्रशासन की सख्ती और संवेदना- दोनों का अद्भुत उदाहरण आज सुनीता के आंसू खुशी के हैं. वो घर जो छिन गया था,आज फिर उसके नाम है. और यही है सच्चे न्याय की तस्वीर. गांव के लोग भी खुले दिल से बोले –‘हकदार को हक दिलाया, तहसीलदार ने इंसाफ दिखाया।’
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