सुबह प्रैक्टिस…फिर दिनभर कपड़े की दुकान में काम, संघर्ष से भरी है हॉकी की इस नेशनल प्लेयर की कहानी

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सुबह प्रैक्टिस…फिर दिनभर कपड़े की दुकान में काम, संघर्ष से भरी है हॉकी की इस नेशनल प्लेयर की कहानी


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Prayagraj News: प्रयागराज की 22 वर्षीय निशिता सिंह नेशनल हॉकी प्लेयर हैं, जो कपड़े की दुकान पर काम करती हैं और सुबह प्रैक्टिस करती हैं. उनकी मां हॉस्टल वार्डन हैं और पिता बीमार हैं.

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हॉकी प्लेयर निशिता सिंह

रजनीश यादव/ प्रयागराज: अगर आपको अपने खेल के प्रति जुनून है, तो कहीं ना कहीं सफलता जरूर मिलती है. चाहे वह देर से ही क्यों ना आए. किसी  भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए  बस मेहनत चाहिए. मंजिल जरूर मिलती है. इसी तरह प्रयागराज की 22 वर्षीय निशिता सिंह की कहानी काफी संघर्षों से भरी है, जो हॉकी में नेशनल गेम खेल चुकी है ,अभी तक उनका अभ्यास जारी है.

कपड़े की दुकान पर करती हैं काम

हॉकी को लेकर प्रयागराज की निशिता में इतना जुनून है कि वह अपने इस पसंदीदा खेल के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही हैं. इसके लिए वह सुबह  ढाई घंटे की प्रैक्टिस और दिन भर कपड़े की दुकान पर काम करती हैं. बीए सेकंड ईयर में पढ़ने वाली निशिता की कहानी संघर्षों से भरी है. वह किस प्रकार अपनी सपनों की उड़ान के लिए मेहनत कर रही है और सफलता की राह देख रही है.

लोकल 18 के माध्यम से निशिता बताती है कि वह सुबह 5:00 से लेकर 7:30 बजे तक मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में प्रैक्टिस करती हैं. उसके बाद घर पहुंचकर खाना बनाती हैं फिर 11:30 बजे से चौक स्थित चौरसिया साफा हाउस के यहां काम करने पहुंच जाती हैं. फिर शाम को 8:30 बजे अपने घर वापस जाती हैं. कुछ इस तरह जूनियर हॉकी नेशनल प्लेयर की जिंदगी प्रयागराज में बीत रही है.
वह जूनियर नेशनल हॉकी गेम में  2021 में जयपुर में अप स्टेट की तरफ से खेल चुकी है. वहीं ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी गेम में तीन बार हिस्सा ले चुकी है.  उन्हें दो बार दूसरा स्थान प्राप्त करने के लिए सम्मानित भी किया जा चुका है.

मां हैं प्राइवेट हॉस्टल की वार्डन

निशिता कपड़े की दुकान पर काम करने के लिए अपने मन से नहीं जाती, बल्कि घर की मजबूरी आर्थिक स्थिति से कमजोर होने की वजह से कर रही है. निशिता बताती है कि उनकी मां मिर्जापुर के नवोदय हॉस्टल में प्राइवेट वार्डन है और पिता प्रदीप सिंह जी लॉकडाउन के बाद से काम करना बंद कर दिए. वह अक्सर बीमार रहते हैं.

सरकारी नौकरी का है सपना

निशिता लोकल 18 के माध्यम से बताती है कि वह मेहनत तो बहुत करती है, लेकिन खेल में भी कहीं ना कहीं रेफरेंस चलता है. इसमें वह पीछे रह जाती हैं, लेकिन वह अपने हॉकी के माध्यम से ही सरकारी नौकरी पाना चाहती हैं. अगर नौकरी नहीं मिलती है तो बीपीएड करने के बाद वह महिलाओं को हॉकी सीखाने  का काम करेंगी. वह बताती है कि उनका हॉकी का खेल और खेलने का अनुभव बेकार नहीं जाएगा. इसी के जरिए वह अपना जीवन आगे बढ़ाएगी. निशिता सिंह ऑनलाइन माध्यम से अपनी क्लास की पढ़ाई कर लेती है. वहीं उनके छोटे भाई रीवा से बीसीए कर रहे हैं जिनकी फीस वह और उनकी मम्मी मिलकर देती हैं. निशिता 2018, 2019 और 2020 में स्कूल स्टेट नेशनल भी खेल चकी है.

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