सरकार का 172 अमृत सरोवर बनाने का लक्ष्य, लेकिन सूखे रह गए तालाब! कौशांबी में..

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कौशांबी जिले में गर्मी के बढ़ते प्रकोप के बीच जल संकट गहराता जा रहा है. सरकार की अमृत सरोवर योजना के तहत 172 तालाब बनाने का लक्ष्य था, लेकिन अब तक केवल 60 बने हैं, जिनमें से कई में पानी भी नहीं भरा गया है.
हाइलाइट्स
- अमृत सरोवर योजना की धीमी प्रगति चिंता का विषय
- गर्मी में बेहाल जानवर और ग्रामीण
- समस्या को चिन्हित किया गया
कौशांबी- उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में गर्मी ने विकराल रूप धारण कर लिया है. 42 से 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचते तापमान ने न केवल आम लोगों को परेशान किया है, बल्कि जानवर और पक्षी भी बेहाल हैं. इस प्रचंड गर्मी में जल संकट और अधिक गंभीर हो गया है. ऐसे में सरकार द्वारा शुरू की गई अमृत सरोवर योजना की धीमी प्रगति चिंता का विषय बन गई है.
सरकार ने जिले में 172 अमृत सरोवर तालाबों के निर्माण का लक्ष्य रखा था, लेकिन अब तक केवल 60 तालाब ही बनकर तैयार हो सके हैं. बाकी 112 तालाबों का निर्माण अभी अधूरा है. यही नहीं, जो तालाब तैयार भी हो गए हैं, उनमें से अधिकांश में पानी की व्यवस्था तक नहीं की गई है. इससे योजना का उद्देश्य, यानी जल संरक्षण और पशु-पक्षियों को राहत पहुंचाना अधूरा रह गया है.
गर्मी में बेहाल जानवर और ग्रामीण
तेज धूप और तपती गर्मी में गांवों के निवासी अपने ज़रूरी काम भी रोकने पर मजबूर हो गए हैं. वहीं, गांवों के पशु-पक्षियों के लिए पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं है. अमृत सरोवर योजना के तहत पानी से लबालब भरे तालाबों की उम्मीद थी, ताकि गांवों में भूजल स्तर सुधरे और जंगली जानवरों को राहत मिले. लेकिन हकीकत इससे उलट है.
मुख्य विकास अधिकारी विनोद राम त्रिपाठी ने बताया कि तालाबों में पानी ना भरने की समस्या को चिन्हित किया गया है और जल्द ही संबंधित तालाबों में पास के गांवों से पानी लाकर उन्हें भरा जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि योजना के तहत तालाबों के किनारे वृक्षारोपण और बैठने के लिए पार्क बनाए जाने की योजना भी शामिल है, ताकि पर्यावरण को संतुलित रखा जा सके.
गर्मी के इस मुश्किल दौर में अमृत सरोवर जैसी योजनाओं की सफलता बेहद अहम है. यदि समय रहते तालाबों में पानी नहीं भरा गया और अधूरे कार्य पूरे नहीं किए गए, तो यह योजना मात्र एक कागज़ी सपना बनकर रह जाएगी. सरकार को ज़मीनी स्तर पर निगरानी और तेज़ी से कार्य पूरा करने पर ध्यान देना होगा.