ताजमहल के 22 बंद कमरों का रहस्य। संपूर्ण जानकारी।.

0
ताजमहल के 22 बंद कमरों का रहस्य। संपूर्ण जानकारी।.

ताजमहल का असली इतिहास क्या है? (शाहजहां और मुमताज के असली नाम क्या थे?)

सबसे पहले ताजमहल का असली इतिहास समझते हैं शाहजहां और मुमताज उनके असली नाम क्या थे।

शाहजहां का जन्म 5 जनवरी 1592 को हुआ था। उनका असली नाम खुर्रम था। शाहजहां उनका शाही नाम था, जो बाद में उन्हें दिया गया जिसका शाब्दिक अर्थ है (विश्व का राजा) शाहजहां उनके पिता जहांगीर और माता जगत गोसाई थी, जहांगीर की प्रमुख रानी।

मुमताज महल का जन्म 27 अप्रैल 1593 में हुआ था। मुमताज महल नाम उन्हें शादी के बाद दिया गया था।उनका असली नाम अर्जुमंद बानू बेगम था। 

शाहजहां और मुमताज की सगाई 1607 में हुई थी और उनका विवाह 1612 में हुआ था। शाहजहां की अन्य पत्नियां भी थी जिसमें कंधारी महल और अकबराबादी महल शामिल है। लेकिन दरबारी इतिहासकारों के अनुसार यह विवाह राजनीतिक गठबंधन पर आधारित थे विभिन्न इतिहासिक विवरण  हमें बताते हैं कि शाहजहां के अपनी अन्य पत्नियों के साथ संबंध केवल नाम मात्र के विवाह थे। यह केवल राजनीतिक गठबंधन बनाए रखने के लिए किया जहां  मुमताज के प्रती और प्रेम उसकी अनुपात  से कहीं अधिक था यही कारण है कि उसे अधिक सुविधाएं दी गई जैसे मलिका -ऐं-जहां की आदि विश्व की रानी कहा जाता है, कि उनके महल खास महल कहा जाता है।

शुद्ध सोने और कीमती पत्थरों से सजाया गया था। ऐतिहासिक अभिलेख के अनुसार मुमताज ने प्रशासन में भी काफी रुचि दिखाई थी। इसलिए शाहजहां जब भी कहीं कूटनीतिक वार्ता या युद्ध के लिए जाता था। तो मुमताज हमेशा उनके साथ जाती थी शाहजहां को अपनी अन्य सभी पत्नियों से केवल एक ही संतान हुई जबकि मुमताज महल से उसे 14 संताने हुई इससे पता चलता है कि शाहजहां का मुमताज के साथ अच्छा संबंध था।

क्या कारण था ताजमहल बनने का?

17 जून 1631 में जब मुमताज अपने 14 में बच्चों को जन्म दे रही थी, तब उनकी मृत्यु हो गई थी मृत्यु का कारण प्रश्नोत्तरी रक्त स्राव बताया जाता है। रक्त की हानि ।

उनकी मृत्यु के बाद शाहजहां गहरी शोक में डूब गया वह दुख से स्तब्ध हो गया वह कई दिनों और हफ्तों तक रोता रहा और ऐसा कहा जाता है कि, वह अपनी पत्नी की मृत्यु के शोक में 1 वर्ष तक एकांतवास में रहे थे एकांतवास का अर्थ है एक कमरे में अकेले रहना ना किसी से मिलना न किसी के साथ रहना।

 ऐसा कहा जाता है कि जब वह दोबारा प्रकट हुए तो उनके बाल सफेद हो गए थे उनकी पीठ झुक गई थी और उनके चेहरे पर निराशा झलक रही थी।

इस्लामी धर्मशास्त्र में यह माना जाता है कि मृतक का शरीर मिट्टी में मिल जाता है। लेकिन आत्मा कब्र में ही रहती है। बाद में न्याय के दिन आत्माएं सृष्टिकर्तां के पास वापस लौट जाएगी। तब यह निर्णय लिया जाएगा की आत्मा स्वर्ग जाएगी या नरक इसलिए कब्र को आत्मा का अंतिम विश्राम स्थान कहा जाता है।

शाहजहां का मानना था कि मुमताज महल का अंतिम विश्राम स्थल भव्य होना चाहिए। तब उन्होंने ताजमहल बनवाने का निर्णय लिया और ताजमहल को इतना भव्य बना दिया इसलिए कहा जाता है कि, शाहजहां ने ताजमहल को मुमताज के याद में बनाया था।

“तो मुख्य कारण था ताजमहल बनने का की मुमताज की याद के तौर पर ताजमहल बनाया गया था। जो की शाहजहां ने बहुत भव्य तरीके से इसे बनवाया था जो आज तक मशहूर है।”

ताजमहल के 22 बंद कमरों का सच!

ताजमहल के 22 बंद कमरों के बारे में कई तरह की बातें कही जाती है। लेकिन पुरातत्व के अनुसार यह कमरा ताजमहल के तहखाना का हिस्सा है और गर्मियों में ठंडी जगह के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं अब इन्हें बंद कर दिया गया है।

तहखाना का हिस्सा – 

ताजमहल के बंद 22 कमरे थे तहखाने का हिस्सा है जो यमुना नदी के तरफ वाले छत पर कतार से बने हैं।

गर्मियों में इस्तेमाल – 

इन कमरों का इस्तेमाल गर्मियों के मौसम में किया जाता है। जहां ठंडी जगह मिलती है।

बंद क्यों –

कुछ इतिहास कारकों का मानना है, कि इन कमरों को बंद कर दिया गया था क्योंकि बेसमेंट में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से दीवारों को नुकसान हो सकता है।

पुरातत्व विभाग का कहना – 

भारतीय पुरातत्व विभाग के अनुसार इन कमरों को रख रखाव के लिए खोला जाता है।

अन्य दावे-

कुछ लोगों का दावा है, कि इन कमरों में मूर्तियों या शिलालेख हो सकते हैं। लेकिन पुरातत्व विभाग ने इन दावों को खारिज कर दिया है।

याचिका खारिज – 

ताजमहल के बंद कमरों को खोलने की मांग वाली याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बैच ने खारिज कर दिया।

एमा कोच का शोध –

एमा कोच जो मुगल स्थापत्य कला पर शोध करती है उन्होंने इन कमरों की तस्वीरें ली थी। और उन्होंने बताया कि यह कमरा सुंदर हवादार जग रही होगी।

22 कमरा है या गलीयारा –

बताया जाता है कि यह 22 कमरे ताजमहल के पतली सी गलियारे हैं। जो ताजमहल के शोभा के डिजाइन के लिए लगाए गए थे। और इन्हें  बंद किया जाता है कि अंदर धूल मिट्टी ना जाए। और इन्हें 15 से 20 दिन में खोल के साफ सफाई भी की जाती है।

15 कमरे –

एमा कोच ने रिवर फ्रंट की तरफ एक कतार में बने 15 कमरे देखे थे।

7 बड़े कमरे –

इन कमरों में सात बड़े कमरे भी थे।  जिनमें हर तरफ बीच तक है 6 चौखाने कमरे हैं और दो अस्त कोणिए कमरे थे।

नक्काशी –

एमा कोच ने जिन कमरों के देखा था उनमें सफेदी के नीचे रंगीन नकाशी के अंश थे।

शाहजहां और मुमताज का उर्स –

फरवरी के महीने में ताजमहल मुगल बादशाह शाहजहां और उनकी बेगम मुमताज का उर्स होता है जिसके दौरान तहखाना खोला जाता है।

“यही ताजमहल के 22 कमरों का सच है”

ताजमहल के निर्माण में कितने मजदूर लगे थे। 

ताजमहल के निर्माण में लगभग 20,000 मजदूर ,शिल्पकारों , वास्तुकारों और कारीगरों ने काम किया था।

समय –

 ताजमहल के निर्माण में करीब 22 साल का समय लगा था।

शुरुआत –

निर्माण कार्य 1632 ईस्वी में शुरू हुआ, और 1653 ईस्वी में पूरा हुआ।

मुख्य वास्तुकार –

ताजमहल के मुख्य वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी थे।

मजदूरों की संख्या –

 20,000 से अधिक मजदूर शिपकारो, वस्तुकरो और कारीगरों ने ताजमहल के निर्माण में योगदान दिया था।

मजदूरों के प्रकार –

 निर्माण के विभिन्न प्रकार के मजदूर शामिल थे जैसे कि

  • दस्तगीर (मजदूर)
  • बर्दानगो (जो चट्टानों को ढलाई करते हैं)
  • मसोदों (जो सफेद मार्बल को काटते हैं।)
  • नक्काश (राजमिस्त्री) और मिट्टी के कारीगर.

अफवाह –

 कुछ लोग कहते हैं कि शाहजहां ने मजदूरों के हाथ कटवा दिए थे लेकिन यह एक अफवाह है।

हकीकत –

 इतिहासकार राज किशोर के अनुसार शाहजहां ने कारीगरों से आजीवन काम ना करने का वादा लिया था। जिसके बदले उन्हें जिंदगी भर वेतन देने का वादा दिया था।

“कुल मिलाकर ताजमहल बनाने में 22 साल का वक्त लग गया था इसे 20,000 मजदूरों ने मिलकर तैयार किया था”

ताजमहल के निर्माण में कितने पैसे लगे थे।

ताजमहल के निर्माण में 22 साल लगे। 1632 से 1653 तक विस्तृत ऐतिहासिक अभिलेख की कमी के कारण ताजमहल के निर्माण की सटीक लागत का सही अनुमान लगाना कठिन है। हालांकि ऐसा माना जाता है कि निर्माण की कुल लागत 32 मिलियन रुपए थे।  उस जमाने में जो आज के लगभग 1 बिलियन अमेरिकन डॉलर के बराबर होने का अनुमान है।

ताजमहल से सालाना कितनी कमाई होती है।

ऐसी कमाई भारतीय पुरातत्व विभाग को किसी अन्य विश्व धरोहर से नहीं होती है। जितनी ताजमहल की टिकट से होती है। हालांकि कोविद काल में स्लैब में काफी बड़ी गिरावट देखने को मिली थी।  लेकिन धीरे-धीरे सामान्य हो चुकी है।  हर साल की बात करें तो यहां लगभग 20 करोड रुपए से अधिक की कमाई ताजमहल की टिकट के माध्यम से होती है।

ताजमहल के निर्माण की सामग्री कहां-कहां से आई थी?

ताजमहल निर्माण में प्रयुक्त सामग्री जैसे संगमरमर और अन्य पत्थर भारत और एशिया के विभिन्न हिस्से से ले गए थे जिसमें राजस्थान का मकराना संगमरमर पंजाब का जयपुर और तिब्बत अफगानिस्तान श्रीलंका और अरब से अन्य रत्न  शामिल है।

सफेद संगमरमर –

ताजमहल के निर्माण में प्रयुक्त सफेद संगमरमर राजस्थान के मकराना की खदानो से लाया गया था।

अन्य पत्थर और रत्न –

  • जैस्पर (jasp) पंजाब से 
  • हरितारम या जेड और स्फटिक या क्रिस्टल चीन से
  • फरोजा तिब्बत से
  • लैपिस लजुली अफगानिस्तान से
  • नीलम श्रीलंका से
  • इंद्रगोप (कार्नेलियन) अरेबिया से

अन्य सामग्री –

  • लाल बलुआ पत्थर फतेहपुर सीकरी (उत्तर प्रदेश) से 
  • फूलों के नक्काशी के लिए मजदूरों को पोखरा से बुलाया गया था।
  • बगीचे बनाने वाले के लिए कश्मीर के रामलाल को जिम्मेदारी दी गई थी।

वास्तुकार-

ताजमहल के मुख्य वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी थे।

अन्य कारीगर-

  • राजमिस्त्री पत्थर काटने वाले बढ़ई चित्रकार और अन्य कारीगर को मुगल साम्राज्य मध्य एशिया और ईरान से बुलाया गया था।
  • तुर्की के कारीगर स्माइल खान को ताज का गुबंद बनाने की जिम्मेदारी मिली थी।
  • लाहौर के कासिम खान ने कलश बनाने की जिम्मेदारी संभाली।

“ताजमहल के निर्माण की सामग्री  देश के विभिन्न हिस्सों से लाया गया था।  तथा राजमिस्त्री मजदूरों को भी दूर-दूर के देशों से बुलाया गया था।”

ताजमहल दिन में कितने रंग बदलता है।

ताजमहल दिन में तीन बार रंग बदलता है।

  • सुबह के समय गुलाबी। 
  • दिन में चमकीला सफेद।
  • चांदनी रात में सुनहरा।

ताजमहल का रंग बदलने के पीछे की वजह:=

  • ताजमहल सफेद संगमरमर से बना है। संगमरमर पारदर्शी पत्थर है।
  • सूरज की अलग-अलग किरणे संगमरमर से टकराकर अलग-अलग रंगों में परिवर्तित होती है।
  • सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य का प्रकाश सीधा ताजमहल पर पड़ता है।
  • इस समय सूर्य का प्रकाश कमजोर होता है। और इसमें लाल नारंगी और गुलाबी रंग की किरणें ज्यादा होती है।
  • ताजमहल का रंग बदलना भी कुछ हद तक दर्शक की दृष्टि पर निर्भर करता है।
  • अलग-अलग कोण से देखने पर ताजमहल का रंग अलग अलग दिखाई देता है।

ताजमहल को देखने के लिए साल भर में कितनी जनता आती है।

हर साल ताजमहल को देखने 7 से 8 मिलियन (70 से 80 लाख) लोग आते हैं। जिनमें से 0.8 मिलियन (8 लाख) से ज्यादा विदेशी पर्यटक होते हैं।

//अधिक विवरण//

आकर्षित करने वाले पर्यटक –

ताजमहल हर साल 7 से 8 मिलियन पर्यटकों को आकर्षित करता है।

विदेशी पर्यटक –

 इनमें से 0.8 मिलियन से ज्यादा विदेशी पर्यटक होती है।

प्रसिद्ध पर्यटन स्थल –

ताजमहल का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। और इस दुनिया के नए सात अजूबों में से एक माना जाता है।

समय –

ताजमहल पूरे साल रविवार से गुरुवार तक खुला रहता है। (शुक्रवार को बंद रहता है)

प्रवेश शुक्ल –

 भारतीय टूरिस्ट के ₹50 ताजमहल के अंदर जाने के लिए एंट्री फीस होती है और जबकि ₹1100 विदेशी टूरिस्ट के लिए जाता है।

रात्रि दर्शन –

ताजमहल का रात्रि दर्शन महीने में पांच रातों को किया जाता है। पूर्णिमा पर और पूर्णिमा से दो रात पहले तथा दो रात बाद तक।

प्रवेश सीमा –

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में अंगतुकों की संख्या प्रतिदिन 40,000 तक सीमित कर रखी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *