Public Opinion : बिहारी प्रवासियों ने कह दी ऐसी बात… बढ़ जाएगी नीतीश-तेजस्वी की टेंशन! खुश हो जाएंगे PK और चिराग

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Chandauli News : बिहार विधानसभा चुनाव में लालू और नीतीश के बाद तेजस्वी यादव, चिराग पासवान और प्रशांत किशोर नए चेहरे के रूप में उभर रहे हैं. प्रवासी बिहारी बदलाव चाहते हैं, जिससे नीतीश-तेजस्वी की टेंशन बढ़ सकती …और पढ़ें
चुनावी चौपाल
हाइलाइट्स
- बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए माहौल गर्म
- प्रवासी बिहारी नए चेहरों को मौका देने के पक्ष में
- PK और चिराग पासवान से त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद
चंदौली : बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, बढ़ती गर्मी के साथ ही बिहार में राजनीतिक माहौल भी गर्म हो रहा है. जहां पिछले 35 सालों में लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार ने बारी-बारी से प्रदेश की सत्ता संभाली है. गौरतलब है कि जहां लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी बिहार की सत्ता पर 15 सालों तक काबिज रहे वहीं नीतीश कुमार 2005 के बाद से अभी तक अपना एकछत्र राज्य चला रहे हैं. हालांकि उनकी सहयोगी पार्टियां बदलती रही और कुछ समय के लिए नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी को डमी सीएम भी बना दिया था. अब जनता के सामने बड़ा सवाल है कि अगली बार किसे सत्ता की कुर्सी सौंपी जाए.
बिहार में 2 नए चेहरों की चर्चा
स्थानीय विशाल तिवारी ने लोकल 18 को बताया कि लालू और नीतीश दोनों ही अपनी-अपनी राजनीति कर चुके हैं. एक तरफ लालू यादव की पार्टी राजद अब तेजस्वी यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही है, तो दूसरी ओर नीतीश कुमार की पार्टी जदयू एक बार फिर से एनडीए के साथ मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है. मगर इस बार चुनाव में दो नए चेहरे (चिराग पासवान और प्रशांत किशोर) भी काफी चर्चा में हैं.
वहीं चकरु यादव ने बताया कि चिराग पासवान खुद को रामविलास पासवान की राजनीतिक विरासत का उत्तराधिकारी मानते हैं और खुद को मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित कर चुके हैं. हालांकि उनकी पार्टी ने तुरंत खंडन भी कर दिया. वहीं, चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने भी ‘जन सुराज’ अभियान के तहत बिहार में सक्रियता बढ़ा दी है. कुछ लोगों को उम्मीद है कि ये नए चेहरे पुराने सिस्टम को चुनौती दे सकते हैं.
त्रिकोणीय हो सकता है बिहार में मुकाबला
स्थानीय राणा सिंह हालांकि जनता के मन में असमंजस साफ दिखता है. कुछ लोग बदलाव चाहते हैं, तो कुछ को डर है कि नए चेहरे अनुभवहीन साबित हो सकते हैं. लेकिन एक बात सभी ने मानी कि बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दे इस बार के चुनाव में सबसे अहम होंगे. अब देखना यह है कि बिहार की जनता अनुभवी नेताओं पर दोबारा भरोसा जताती है या किसी नए चेहरे को मौका देती है. यह तो मतदान के दिन ही तय होगा, लेकिन माहौल बताता है कि इस बार मुकाबला त्रिकोणीय और कड़ा होने वाला है.