अगर आप भी जा रहे हैं चित्रकूट, तो इस बार रोपवे की सैर को ना करें मिस!

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अगर आप भी जा रहे हैं चित्रकूट, तो इस बार रोपवे की सैर को ना करें मिस!


चित्रकूट: अगर आप कभी भगवान श्रीराम की वनवास स्थली और धार्मिक आस्था की अनुभूति लेने की सोच रहे हों, तो चित्रकूट ज़रूर आइए. खासकर अगर आप बुंदेलखंड क्षेत्र में हैं तो ये एक शानदार आध्यात्मिक ट्रिप हो सकती है. यहां स्थित हनुमान धारा मंदिर अब रोपवे सुविधा के चलते अधिक सुलभ हो गया है. पहले इस मंदिर तक पहुंचने के लिए लंबी चढ़ाई करनी पड़ती थी. अब श्रद्धालु रोपवे के जरिए आराम से दर्शन कर सकते हैं.

हनुमान धारा तक अब आसान सफर
हनुमान धारा मंदिर चित्रकूट की ऊंची पहाड़ियों पर बसा है. पहले यहां तक पहुंचने के लिए सैकड़ों सीढ़ियां चढ़नी पड़ती थीं, लेकिन अब नई रोपवे सुविधा ने इस चढ़ाई को एक रोमांचक और सुंदर यात्रा में बदल दिया है. श्रद्धालु रोपवे से ऊपर जाते समय चित्रकूट की हरियाली, घाटियां और पहाड़ों का अद्भुत नज़ारा देख सकते हैं.

ये हैं टाइमिंग
रोपवे सेवा हर दिन सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक चलती है. टिकट मंदिर से पहले ही नीचे बने काउंटर से लिया जा सकता है.

इस प्रकार हैं टिकट दरें
3 से 10 साल के बच्चों के लिए राउंड ट्रिप: 120 रुपए
10 साल से ऊपर के यात्रियों के लिए राउंड ट्रिप: 160 रुपए
बच्चों के लिए एक तरफ का टिकट: 85 रुपए
बड़ों के लिए एक तरफ का टिकट: 115 रुपए
इसके अलावा दिव्यांगों के लिए रोपवे सेवा पूरी तरह निशुल्क रखी गई है, जिससे हर किसी को दर्शन में आसानी हो.

एक साथ मिलेगा श्रद्धा और रोमांच
रोपवे में यात्रा करते हुए श्रद्धालुओं को चित्रकूट का प्राकृतिक सौंदर्य भी देखने को मिलता है. रोपवे को एक पॉइंट पर 30 सेकंड तक रोका जाता है, ताकि श्रद्धालु ऊपर से पूरे क्षेत्र का दर्शन कर सकें और हनुमान जी के इस पवित्र स्थान की महिमा को अनुभव कर सकें.

क्या बोले रोपवे प्रभारी?
इस रोपवे संचालन की जिम्मेदारी संभाल रहे जीवन ने लोकल 18 से बातचीत में बताया, “हमारा मुख्य उद्देश्य श्रद्धालुओं को सुरक्षित और आरामदायक यात्रा उपलब्ध कराना है. रोपवे को इतनी गति से चलाया जाता है कि लोग दर्शन के साथ-साथ प्रकृति का भी भरपूर आनंद ले सकें.”

धार्मिक पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
हनुमान धारा मंदिर तक रोपवे की सुविधा शुरू होने से चित्रकूट में धार्मिक पर्यटन को भी नई गति मिली है. बुज़ुर्ग, महिलाएं और दिव्यांग श्रद्धालु जो पहले इस चढ़ाई से बचते थे, अब आसानी से दर्शन कर पा रहे हैं.



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