मथुरा के इस चमत्कारी टीले की परिक्रमा करने से होती है संतान प्राप्ति…

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मथुरा के इस चमत्कारी टीले की परिक्रमा करने से होती है संतान प्राप्ति…


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Mathura News: मथुरा के मधुवन क्षेत्र में स्थित ध्रुव टीला श्रावण मास में भक्तों की आस्था का केंद्र है. परिक्रमा से संतान सुख मिलता है. भगवान विष्णु ने ध्रुव को दर्शन दिए थे. हर शाम भक्तों की भीड़ उमड़ती है.

हाइलाइट्स

  • सावन में ध्रुव टीले की परिक्रमा से संतान सुख मिलता है.
  • ध्रुव टीला भगवान विष्णु के भक्त ध्रुव से जुड़ा है.
  • मधुवन में हर शाम भक्तों की भीड़ परिक्रमा के लिए उमड़ती है.
मथुरा: सावन का महीना बृज क्षेत्र के लिए खास होता है. यह समय हर्ष और उत्साह से भरा होता है. इस पवित्र महीने में भगवान की भक्ति चरम पर होती है. ऐसा माना जाता है कि सावन में भगवान अपने भक्तों को उनकी सच्ची भावना के अनुसार फल देते हैं. मथुरा के पास एक ऐसा रहस्यमयी टीला है, जो आज भी हजारों भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. श्रावण मास में यहां बड़ी संख्या में लोग परिक्रमा के लिए आते हैं. भक्तों की श्रद्धा देखकर कहा जाता है कि भगवान विष्णु यहां आज भी अपने भक्तों की भावना के अनुसार मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

टीले की परिक्रमा से मिलता है संतान सुख
मथुरा के मधुवन क्षेत्र में स्थित ध्रुव टीले की परिक्रमा श्रावण मास में विशेष मानी जाती है. मान्यता है कि जो व्यक्ति सावन के महीने में श्रद्धा और सच्चे मन से इस टीले की परिक्रमा करता है, उसे संतान सुख की प्राप्ति होती है. हर शाम यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है. बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग सभी परिक्रमा में शामिल होते हैं. परिक्रमा करते समय भक्त अपने आराध्य भगवान का नाम जपते हैं और मन की नकारात्मक बातों को निकालकर खुद को शुद्ध करने की कोशिश करते हैं. यह प्रक्रिया न केवल भक्ति का रूप है, बल्कि एक आंतरिक बदलाव की शुरुआत भी मानी जाती है. माना जाता है कि जब आप सच्चे मन से परिक्रमा करते हैं, तो भगवान आपके भाव के अनुसार फल देते हैं.

ध्रुव टीले की ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यता
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह टीला भगवान विष्णु के अनन्य भक्त ध्रुव से जुड़ा हुआ है. कहा जाता है कि जब ध्रुव मात्र 5 साल के थे, तभी उन्होंने भगवान विष्णु की कठोर तपस्या शुरू कर दी थी. उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु मथुरा से लगभग 15 किलोमीटर दूर मधुवन पहुंचे. उन्होंने अपने वाहन गरुड़ को रास्ते में ही छोड़ दिया और पैदल अपने भक्त ध्रुव को दर्शन देने आए. इसी स्थान पर आज ध्रुव टीला स्थित है, जो श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है. कभी इस स्थान के पास से यमुना की निर्मल धारा बहा करती थी, लेकिन समय के साथ नदी का प्रवाह स्थान बदलता गया. अब कलयुग में ध्रुव की भक्ति की महिमा और यह स्थल लोगों के बीच फिर से प्रसिद्ध हो रहा है.
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