गाजियाबाद में अब जहरीला धुआं नहीं उगल पाएंगी फैक्ट्रियां, 24 घंटे रखी जाएगी चिमनियों पर नजर, जानें कैसे होगा काम?

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गाजियाबाद में अब जहरीला धुआं नहीं उगल पाएंगी फैक्ट्रियां, 24 घंटे रखी जाएगी चिमनियों पर नजर, जानें कैसे होगा काम?


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Ghaziabad Pollution News : नई व्यवस्था के तहत OCEMS के साथ 360 डिग्री घूमने वाला सीसीटीवी कैमरा लगाना भी अनिवार्य है. इसका कंट्रोल सीधे प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास रहेगा, ताकि सिस्टम से किसी तरह की कोई छेड़छाड़ न कर सके. गाजियाबाद में 385 औद्योगिक इकाइयां हैं. इनमें 353 लघु, 21 मध्यम और 11 बड़ी हैं. इन सभी को 31 दिसंबर तक का समय दिया गया है. नियम तोड़ने पर बिना देरी के कार्रवाई होगी.

गाजियाबाद. दिल्ली–एनसीआर में प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए अब गाजियाबाद की औद्योगिक इकाइयों पर कड़ी नजर रखने की तैयारी कर ली गई है. उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड UPPCB ने जिले की सभी प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों के लिए रियल टाइम मॉनिटरिंग व्यवस्था लागू करने का फैसला लिया है. इससे चिमनियों से निकलने वाले धुएं और गैसों पर हर वक्त निगरानी रखी जा सकेगी. UPPCB के अनुसार, गाजियाबाद में कुल 385 औद्योगिक इकाइयां चिन्हित की गई हैं. इनमें 353 लघु, 21 मध्यम और 11 बड़ी हैं. इन सभी इकाइयों को 31 दिसंबर तक OCEMS ऑनलाइन कंटीन्यूअस एमिशन मॉनिटरिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य होगा. यह सिस्टम चिमनियों से निकलने वाले उत्सर्जन को सीधे रियल टाइम में रिकॉर्ड करेगा. OCEMS से मिलने वाला पूरा डाटा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड CPCB के सर्वर से जोड़ा जाएगा. अगर किसी भी इकाई से तय मानकों से ज्यादा प्रदूषण निकलता है तो संबंधित विभाग को तुरंत अलर्ट मिल जाएगा. इसके बाद बिना देरी के उस इकाई पर कार्रवाई होगी.

बिना देर किए चलेगा डंडा

UPPCB ने साफ कर दिया है कि 31 दिसंबर 2025 तक जिन औद्योगिक इकाइयों में OCEMS नहीं लगा होगा, उन्हें बंद कर दिया जाएगा. फिलहाल 34 औद्योगिक इकाइयों ने OCEMS लगवाने के लिए परचेज ऑर्डर जारी कर दिए हैं. जिले में स्वच्छ ईंधन को भी लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है. UPPCB के अनुसार, गाजियाबाद की 138 औद्योगिक इकाइयां अब पीएनजी और सीएनजी जैसे स्वच्छ ईंधन का उपयोग कर रही हैं. 12 इकाइयों को नॉन अप्रूव्ड फ्यूल इस्तेमाल करने पर शो-कॉज नोटिस जारी किया गया है. निरीक्षण के दौरान अगर मौके पर प्रतिबंधित ईंधन पाया जाता है तो उसे तुरंत सील कर दिया जा रहा है.

समझाई गई एक-एक बात 

गाजियाबाद में खासतौर पर टेक्सटाइल डाइंग और मेटल मेल्टिंग से जुड़ी इकाइयों से अधिक प्रदूषण फैलने की आशंका रहती है, क्योंकि इनमें बड़े पैमाने पर बॉयलर का इस्तेमाल होता है. इसी वजह से UPPCB ने इन सेक्टरों पर विशेष फोकस किया है. औद्योगिक संचालकों को OCEMS की कार्यप्रणाली समझाने के लिए कई वर्कशॉप और बैठकें भी आयोजित की गई हैं. नई व्यवस्था के तहत OCEMS के साथ 360 डिग्री घूमने वाला सीसीटीवी कैमरा लगाना भी अनिवार्य किया गया है. इसका कंट्रोल सीधे प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास रहेगा ताकि सिस्टम से किसी तरह की छेड़छाड़ न हो सके. कैमरे की मदद से यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि चिमनी और मॉनिटरिंग सिस्टम सही तरीके से काम कर रहा है.

क्या होगा फायदा
UPPCB के क्षेत्रीय अधिकारी अंकित सिंह के मुताबिक, अभी रोजाना सीमित संख्या में ही औद्योगिक इकाइयों का भौतिक निरीक्षण संभव हो पाता है, लेकिन OCEMS लागू होने के बाद सभी 385 इकाइयों का उत्सर्जन एक साथ ऑनलाइन देखा जा सकेगा. इससे निगरानी मजबूत होगी और नियमों का उल्लंघन करने वाली इकाइयों पर तुरंत सख्त कार्रवाई की जा सकेगी.

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Priyanshu Gupta

Priyanshu has more than 10 years of experience in journalism. Before News 18 (Network 18 Group), he had worked with Rajsthan Patrika and Amar Ujala. He has Studied Journalism from Indian Institute of Mass Commu…और पढ़ें

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